गढवाली भाषा साहित्य अर नै छवाळि


गढवाली भाषा मा जख एक द्वी दशक पैलि तक नै छवाळि दूरी छे बणौणी, आज गढवाली भाषा गीत संगीत सुण्न अर साहित्यिक मंचों पर उपस्थिति देखी हमारी गढभाषा जातरा आंदोलन तै नई दिशा मिलणी च।
साहित्यिक सांस्कृतिक नगरी पौडी बटि रूद्रप्रयाग अर चमोली मा भी भौत काम हवोणू च ईं दिशा मा।
नै छवाळि तै कविता मंचों पर स्थापित साहित्यकार कवियों न अर फेसबुक वटसअप इंटरनेट यूटयूबन भी भाषा से जोडण मा मुख्य भागीदारी निभै।
रूद्रप्रयाग जनपद की बात कर्ये जौ त कलश संस्था न, नै छवाळि तलक, अपडि भाषा-संस्कृति साहित्य पौछौणो गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी जी समेत कै साहित्यकार खड़ा करिन जौंन नै पीढ़ी प्रेरित करी अर गढवाली भाषा मा लिखणों, उत्प्रेरक कु काम करी।
पौडी मा भी त,कै साहित्यकारों  ईं दिशा मा सकारात्मक काम कना पिछला ही साल भैजी विरेंद्र पंवार जी,  गणेश खुगशाल 'गणि' जी न स्कूलों मा वर्कशाॅप द्वारा छात्रों तै लिखणो प्रेरित करी, संदीप रावत जी भी ईं दिशा मा काम कना रंदन। धाद संस्था का आयोजन काबिलेतारीफ रंदन।
दिल्ली मा गढवाली कुमौंनी भाषा की ग्रीष्मकालीन क्लास भी ईं दिशा मा सकारात्मक कदम च।
रूद्रप्रयाग जनपद मा  कलश संस्था का मंचों न हमारा बच्चा भौत प्रेरित करिन।
पालाकुराली का  बच्चा  रविना  राणा, श्वेता राणा अर अंबिका कक्षा आठवीं बटि गीत कविता लिखणा छिन त कविता कैंतुरा, लक्ष्मी राणा, वंदना प्रीति, कुलदीप, राजपाल, मनीष मेहरा, शीतल,संजना अर साक्षी गढभाषा मा पढणा भी छिन त लिखणा भी छिन।
सातवीं कक्षा मा पढदा अंकुश राणा, अर खुशी राणा भी जब गढवाली मा लिखणा त तब उम्मीद अर आशा होर बढि जांदि कि भविष्य की बेहतर तस्वीर बणौला यि बच्चा अर हमारा साहित्य तै होर मजबूती द्योला।
पौडी बटि आकृति मुंडेपी, बेहतरीन गीत गढवाली मा लिखीतै भविष्य की उम्मीद जगौणी च।
सतपाल कुमार रूद्रप्रयाग मा ही कक्षा दसवीं बटि गढवाली कविता लिखणू च अर किताब भी तब प्रकाशित करवे जब सु दसवीं कु छात्र छो।
विद्या मंदिर रूद्रप्रयाग मा गोपीकृष्ण राणा 9 वी कक्षा बटि ही गढवाली कविता लिखणू च।
इंटर काॅलेज मायकोटी मा पढदू दिव्यांशू नेगी भी गढवाली कविता लिखणू च।
इंटर काॅलेज बजीरा रूद्रप्रयाग मा पढदू सचिन रावत भी 9 वी कक्षा बटि ही, गढवाली भाषा-कविता लिखणू च।  वंदना राणा,कविता कैंतुरा अर लक्ष्मी राणा न कलश का मंचों पर भी अपडि कविता  पाठ करी।
राउमावि पाला कुराली मा खाली पीरियड मा गढभाषा की वर्कशाॅप कु आयोजन कर्ये जाणू च, बच्चा अब गीत कविता पढणा भी लिखणा छिन।
कै जगा, कै नौं यन होला जौंसे हम अजू अजांण छिन  पर सि लिखणा होला रचणा होला, भविष्य मा कोशिश रोली एक लेख का माध्यम से यौते प्रोत्साहित कर्ये जौ।
नै छवाळि तलक गढवाली भाषा साहित्य कविता लिखणो प्रेरित कन वौला अर गढभाषा तै फैलास द्योण वौला सबि साहित्यकारों रचनाकारों तै प्रणाम धन्यवाद। 👏👏👏