भूल सुधार

"ओह!तंग आ गई  मैं तो मम्मी पापा के रोज़ के इन झगड़ों से , अब तो घर छोड़ देने में ही समझदारी है।"..रात्रि के गहन अंधकार को चीरती शुशांत और मीना के चिल्लाने की आवाज़ें  अब पौरुषी के सब्र का बांध तोड़ चुकी थी। फेसबुक पर कुछ ही दिन पहले बने अपने अज़ीज मित्र  रोहन से  मैसेंजर पर सारी बातें  साझा करते हुए पौरुषी की हिरणी जैसी आँखों से बहते मोतियों को जैसे वह अपनी पलकों पर समेटने लगा।

              पौरुषी को तो जैसे ईश्वर का वरदान मिल गया।अपने अतीत को एक ही झटके में दरकिनार कर वह आनन-फानन में कुछ क़ीमती जेवरात और नक़दी लिए चुपके से किवाड़ी खोल रोहन के बताए मुकाम पर पहुँच गई।बाँहे फैलाए उसका हीरो इस अन्दाज़ में उसका  इन्तज़ार कर रहा था जैसे तपते रेगिस्तान में प्यासा बारिश की बूँदों का।दोनों प्रेमियों के मिलन का गवाह बना होटल का एक आलीशान कमरा। चंद घंटों में ही पौरुषी प्रिय की बाहों में खो  निन्द्रा देवी के सानिध्य मेंआने वाले कल के सुनहरे सपने बुनने लग गई।पौरुषी के गहन निन्द्रा में समा जाने का आभास होते ही रोहन ने कमरे के कोने में खड़े होकर फ़ोन पर बाते करनी शुरू की। शायद पौरुषी के माता -पिता के किसी पुण्य का फल रहा होगा कि निंद्रा देवी ने उसे अपने आगोश से ज़बरन मुक्त कर दिया और उसका ध्यान फ़ोन पर हो रहे वार्तालाप पर आकृष्ट कर दिया।"अभी जगाना उचित नहीं होगा,उसे शक हो जाएगा और हम पुलिस के घेरे में आ जाएंगे।माल बहुत ही उम्दा है,लगता है अभी तक किसी ने हाथ से क्या,नज़रों से भी नहीं छुआ है। दाम उसी हिसाब से मिलने चाहिए गुरु!

           पौरुषी के तो पैरों तले ज़मीन खिसकने लगी।उसे अपने नाम पर बड़ा गुमान था। कितनी  शान से  मम्मी- पापा उसे बताया करते थे बचपन में ,पौरुषी मतलब अदम्य साहस ,जो किसी से न डरे।गहरी नींद का बहाना कर वह तबतक एक ही करवट लेटी रही जबतक रोहन उसे अपनी बाहों में समेट गहन निन्द्रा  में न समा गया।धीरे से उठकर बाथरूम में जा उसने 100 नम्बर पर पुलिस को तुरंत आने की इत्तला कर दी।

     इधर रोहन मीठे सपने देखने में इतना मशगूल था कि पुलिस के डण्डे पड़ते ही पहला शब्द निकल पड़ा.."माल पसन्द आया"।डण्डे पड़ते ही पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो गया।सब जेल की सलाख़ों में चक्की पीसने चल पड़े।

        इधर  पौरुषी के मम्मी -पापा देर रात तक झगड़ने के बाद अभी चैन की नींद सो ही रहे थे कि पुलिस के साथ पौरुषी को देख अचम्भित हो उठे।सारी कहानी विस्तार से सुनने के बाद दोनों ने बिटिया को बाहों में भर लिया यह कहते हुए कि"पौरुषी बिटिया तुमने अपना नाम सार्थक कर दिखाया,आज से हम दोनों भी तुम्हारे अच्छे मम्मी पापा बन कर दिखलाएँगे"।

         

(समाज सेवी सह शिक्षिका सन्त जोसेफ़  कॉन्वेंट हाई स्कूल अशोक राजपथ  पटना।)