हिमालय दिवस...

 

आज हिमालय दिवस है। वर्ष 2010 में श्री पद्मश्री अनिल जोशी द्वारा इस मुहिम को चलाया गया था और आज हम सब इन झंडे के नीचे खड़े है। यह त्यौहार नही एक सूचना है उन सभी लोगों के लिए जो चेतनाशील है। पच्चीस सौ किलोमीटर लम्बे और करीब तीन सौ किलोमीटर चौड़ाई वाले हिमालय क्षेत्र के स्वास्थ्य की चिन्ता में पिछले कुछ वर्षों से देश भर और खासकर उत्तराखण्ड,हिमाचल,मणिपुर,असम,मेघवाल, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, अरुणांचल प्रदेश में 9 सितम्बर को 'हिमालय दिवस' मनाया जा रहा है। उत्तराखण्ड सहित अन्य हिमालयी राज्यों में सामाजिक संस्थाएं व सरकारों के मदद से आज के दिन हिमालय का महत्व समझाया जाता है अनेकों सामाजिक सरोकारों से जुड़े लीग निरंतर हिमालय के संरक्षण में कार्य भी कर रहे है। उत्तराखण्ड सरकार तो बाकायदा स्कूलों को सर्कुलर भेजकर हिमालय दिवस मनाने को कहती है। जिस का असर दिखाई दे रहा है। सरकार ही नहीं, अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी इस दिन बड़े-बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को हिमालय के प्रति समर्पित रहने की बात करते है। हिमालय दिवस मनाने की रस्म अदायगी वर्ष 2014 से आधिकारिक तौर पर चल रही है।

मगर सदैव मन में एक टीस रह जाती है कि हिमालय दिवस मनाने वाले हम लोग अपने कहे बचनों को निभाते क्यों नही। तामझाम के साथ समाज को संदेश देते है मगर खुद भूल जाते है कि हिमालय के बिना जीवन की कलपना सम्भव नही। यदि झूठा हिमालय दिवस मनाने से हिमालयी पारिस्थितिकी-पर्यावरण का कुछ भला होता तो इस संवेदनशील पारिस्थितिक क्षेत्र में बार-बार मानवजनित आपदाएँ क्यों घटित होतीं? हिमालय दिवस से हिमालय में निवास करने वाली जनता और वन्यजीवों को भी अब तक कोई लाभ नहीं पहुँचा है। हम सब को दृढ़तापूर्वक कार्य करने की जरूरत है हिमालय दिवस मनाए मगर अनुसरण भी करें।