मैं नू कह रिया परधान बन रिया मैं

 


 


   श्रवण-श्रावण भौंचक रह गये, जब देखा कि बिजनौर नगीना धाम का सफाई कर्मी केदारघाटी का परधान बन गया, ये कैसे  हुआ, क्यों हुआ। अब क्या होगा, पांचवी पास कबाड़नाथ क्या पिरारथना पतर लिख पायेगा। डीऐम साब ,शासन पिरशासन की योजनाओं को जनता के बीच में हूबहू पहुंचा पायेगा ? हे प्रभु ! ऐसा अनर्थ भूलोक में कैसे हो गया, कोई निदान प्रभुवर ! यमराज दांते निपोरते हुये श्रवण श्रावणी को क्रोधित नयनों से निहारने लगे। भई, आरक्षण का कमाल है सहना तो पड़ेगा ही।


   ये सरकार और स्थानीय लोगों को प्रपंच है,  मूर्खों, अपनी पाथी पकोड़ी हैं, ठूंसना पड़ेगा। एक एक वोट पाने की खातिर बाहरी लोगों का वोटर कार्ड, राशन कार्ड में नाम धर रहे हैं, जनप्रतिनिधि और आज कह रहे हैं, कि नगीना बिजनौर के लोग पिरधान कैसे बनेंगे। अब सरकार के पास इतना टाइम नही है, कि वे घर घर जाकर लोगों को पूछे कि तुम्हारे यहां फलां जाति है, कि नही उसने तो रोस्टर के मुताबिक फटो फट नियम लागू कर देना है। यमराज ने पुराना हो चुके चश्मे को थूक से साफ किया। श्रवण श्रावणी उनके भावों को यकटक बींगते हुये चुपचाप हाल ही में यम के द्वार पहुंची आत्माओं को तेल की कड़ाई में भूनने लगे।


   इधर भूलोक में सफाई करने और कूड़ा उठाने वाला कबाड़नाथ को उन्हीं की जाति के कुछ लोग झंाझ में उठाये फूलमालाओं से स्वागत कर रहे थे। कोई कह रहा था कि मैं नू कह रिया अब तो विकास के धारे बहा दूंगा...कोई कहता कि अब सफाई कौन करेगा। तभी झांझ में टुन्न हुआ कचरा सिंह कहने लगा कि बाजार में रह रिया वो फलां डांक्टर ...वो व्यापारी और वो पतरकार उठायेगा, जो हमें नीची निगाहों से देखते थे, हा हा हा। अब आया ऊंट पाड़ के नीच्चे। कोई कहता कि अब पंाच साल तक हमने केदारघाटी का विकास करना है, यहां पर जगह जगह सफाई कर्मी लगाने हैं, शौचालयों के पिट चुपचाप घुप्प अंधेरे में गदेरे में खोल देने हैं, अब तो हम परधान बन गये, अब कौन रोकेगा... स्साले इनके किसी भी कागज पर मोर नहीं मारेंगे।  लेकिन अब सवाल यह उठता है, कि पांच साल तक यदि किसी का पिट भर गया, नाली चैक हो गयी तो ....कौन खोलेगा। भीड़ से चिल्लाते हुये पिट नाथ ने कहा कि ये काम पांच साल तक कोई नहीं करेगा...  हम सभी भाई बंध परधान बन गये।


  एक कार्यक्रम के दौरान परधान को कार्यक्रम अध्यक्ष बनाया गया। संयोजक परेशान हो गये कि साफ सफाई के लिये परधान को कैसे बोला जायेे। फिर भी बामुश्किल बोला कि सर आप पहले बाथरूम को साफ करेंगे, मैदान की सफाई करेंगे तक आप मुख्य अतिथि का माल्यार्पण करेंगे, और कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। कबाड़नाथ की आंखें गुस्से से लाल हो गयी, मुझे तूने सफाई नायक समझा है क्या .... कार्यक्रम अध्यक्ष हूं मैं ... सफाई तुम्हारे कर्मचारी करेंगे ... मोदी जी जब खुद झाड़ू मारकर लोगों को सफाई का संदेश दे रिये हैं, तो तुम क्या हो....अब हमारा वक्त है। बामुश्किल संयोजक मंडल ने हाथ जोड़कर मामला शांत करवाया। जब उसने ये बोला कि करूं डीऐम को फोन करूं ... ऐसे एक्ट में फंसाऊंगा कि उठ नही पायेगा, परधान हूं मैं, कोई नाली साफ करने वाला नही। कार्यक्रम समाप्ति के बाद कार्यक्रम अध्यक्ष ने भाषण में कहा कि मैं नू कह रिया, कोई ऐसे गैरे नत्थू खैरे नहीं है, गढ़वाली नही हैं, बिजनौरिया हैं, वर्षों से तुम्हार कूड़ा साफ कर रहे हैं , अब तुम्हारा कचरा साफ नही करेंगे। अब मैं परधान बन गया हूं। तुम्हारी वोट से जीता हूं कोई डाके से नहीं जीता हूं। चलो कार्यक्रम की सफलता के लिये बधाई.....।


 


श्रवण श्रावण आत्मा को चीर रहे थे। यमराज ने भूलोक की ओर देखा ....वहां पर परधान कबाडनाथ ने माइक को एक ओर फंैका और झुककर नीचे गिरे हुये कबाड़ को उठाने का उपक्रम करने लगा,    बाद में उसे लगा कि यह तो घोर बेइज्जती हो गयी तो चुपचाप सोफे पर पसर कर मुंह में घंटे भर से रखे तंबाकू की पीक को परदे पर उड़ेल दिया। और कार्यक्रम केा लुत्फ लेने लगा । इधर श्रवण ने श्रावणी के कान में ठूस करके बोला कि यही हाल रहा तो अब केदारघाटी से अगले पांच बरसा बाद मुहम्मद हुसैन का नम्बर भी आ सकता है,      इतना सुनते ही हुसैन कोट पैंट सिलवाने के लिये दे दिया।