सबसे सुंदर जो बिंदी है


देश के माथे पर जो सबसे सुंदर बिंदी है,


और नहीं कोई वह हमारी मातृभाषा हिंदी है।


कश्मीर से कन्याकुमारी,कच्छ से अरूणाॅंचल तक,


एक सूत्र में बाॅंधा जिसने वह हमारी हिंदी है।


निर्मल, सुंदऱ, शुद्ध, सरल सी बहती जो


पवित्र पावन गंगा सी वह सरस्वती की बेटी हिंदी है।


स्वतंत्रता की ज्योति जलायी जिसने जनजन में,


वह संस्कृति,गौरव की पहचान हमारी हिंदी है।


जति,धर्म,भाषा,क्षेत्रवाद में बंट जाता देश हमारा,


यदि तिरंगे की तरह न फहराती यदि हिंदी है।


हिंदी तट पर पल्लवित पुष्पित हुए हम,


शिखरों से संयुक्त राष्ट्र तक जो लहरायी वह हिंदी है।


शब्दों के सारे रंगों से बनती इंन्द्र धनुष सी,


बिखराती सुगन्ध फूलों सी वह रंग बिरंगी हिंदी है।


गुरूमुखी, बंगाली, कन्नड़, तमिल,तेलगू,


जैसी जिसकी बहनें हैं कैसे कह दें बेचारी हिंदी है।