"ब्वेनी दगड़ा रौंण छौ त बिगळा क्येक होंण छौ"(गढ़वाली )


गढ़वळी मा यु पखंणू "ब्वेनी दगड़ा रौंण छौ त बिगळा क्येक होंण छौ" भौत सुंणणो तै मिल्दू। सुंण्यु त यन छ, कखी द्वि भै-भुल्ला छां, जौंतै अफड़ी ब्वे यन बिंणै बल वूंन जुद्दि होंण मा सार चितै। बांठा होंण लगगेन, अर जब पंचोन बोली ब्वे य त बड़ै दगड़ा रौली य त छोट्टै दगड़ी, त द्वि भै सोचण लगगेन ब्वेका बाना त यू सब परपंच रची छौ, जब ब्वेनी दगड़ी मा रौंण त हम बिगळा किलै ह्वे होला। यखमु जै ब्वे शब्द तै मै लौंण चन्दो वांकू मतलब क्वी रिस्ता नाता वली ब्वे से नी छ, यखम ब्वे से मेरु मतलब "बेरोजगारी","अव्यवस्था","अविकाश" अर "अशिक्षा" से छ।उत्तर प्रदेश से अलग होंणा बाद त सब्बी उत्तराखंडी जनता यूयी सोचदी होळी की ब्वेनी दगड़ा.....। कख रैगेंन उत्तर प्रदेशा सैंणा बाठा,जख विकाशै गाड़ी सर्र सर्र सर्र जांदी अर कख रैगेंन उत्तराखंडा बड़ा-बड़ा डाण्डा कांठा जख उकाळ चढ़दु-चढ़दु विकाशा दाँत घाम लग जंदन। अर वे विकाशन बी यूप्यो भळू कन्न छौ य उत्तराखंडै दगड़ी न्याय कन्न छौ। भला उत्तर प्रदेशै सैंणी जमीना दगड़ी उत्तराखंडा पौड़s भळू कनक्वे ह्वे सकदू छौ, जखमा उत्तराखंड पिछनै छौ होंणु। ईं स्यांणी लेतैं की यूपी दगड़ी पौsड़ा लोखू भळू नी ह्वे सकदू,ईं पाड़ै भूम्या वीर सपुतौंन अर जनतन एक नयु राज्य तैं बंणणौ संकल्प करी। उत्तराखंड राज्य विस्थापनो महायज्ञ शुरू ह्वेगी जखमा पाड़ै ब्वेयोंन,दिसा ध्यांण्योन अफ़णा अफ़णा नौना बाळोंक आहुती चढ़ै।जन्नी जन्नी आहुति चढ़णी छै उन्नी उन्नी आग भबरांणी छैं,पण अफ़णा अफ़णा फैदै स्यांणी कन्न वळा लोग बैरा छां बंण्या,उंतै उत्तराखंड आंदोलनों शंखनाद सुंणणो तै अमर सपूत श्री देव सुमन अर नजणी कथगा बलिदान्नयोन अफरी बली चढ़ै दे ज्यांसे उ नत उंका बाद उंका उत्तराखंडी भै भुल्ला,माँ बैंणी त विकाशै हव्वा मा सांस लेला। हवन से उठी आगै झोsळ मतलबी लोखो तैं लगण लग्गी अर ९ नवम्बर सन् २००० मा उत्तराखंड उत्तरप्रदेश से अलग ह्वेतै देशोs सताइसवू राज्य बंणी।


अब सबाल यू खडू होन्दू की क्य सचमा उत्तराखंड एक नै राज्य बंणा बाद विकाशै फैड़ी चढ़णु छ ? क्य जांका बाना उत्तराखंड आंदोलन ह्वे छो वा चीज हमुन पै छ ?....बिल्कुल ना ! उत्तराखंड बंणणा बाद द्यारादूंण तै रजधानी बंणोणा बाद पहाड़ू मा रंगत औंणै रयी सयी आस त पैळी ख़तम ह्वेगे छै।यख् बी मतलबी लोखून अफड़ी राजशाही,ठाट बाट अर अफशरशहाया बाना पैळी "धार-खाळो" तै नजरअंदाज करी लुकां ढक्यां द्यारदूंण तै रजधानी बंणै दे।द्यारादूंण रजधानी बणण से जख उत्तराखंडा मैदानी भाग विकाशै दौड़ मा देशा हौर महानगरो से प्रतिस्पर्धा कन्ना छन वख अज्यूँ बी पाड़ा लोग लगातार चारु-गुजरा बाना पलायन कन्ना छन। घौर-बार,तिबरी-डंड्यळी,पुंगड़ी-पटळी,गौंका गौं रीता पोड्यांन,धारा-मंगरा लोखू जग्वाळ करणन।नै राज्य बंणणा बाद बी फैदा नी होंण से यखा लोखुन बडिया व्यवस्था,शिक्षा,विकाशै चाह मा "गैरसैंण"तै राजधानी बंणsणै सोची।गैरसैंण रजधानी बंणण से कम से कम यखा लोखूंक पौsड़ से पलायन त कम होन्दू,अर हर घौरा मनखीमू अफरु चारु गुजरु होन्दू,यखा लोखू भळू होन्दू।पण चकड़ैत नेता,अफसर बन-बन्या बाना बंणौण लग्गेन् की गैरसैंण राजधानी बंणsणो तै ठीक नी छ।


जख प्रदेशो एक हिस्सा उच्चशिक्षा लेतैं,बड़ी बड़ी डिग्री,सर्टिफिकेट,डिप्लोमा धारी तै बड़ी बड़ी नौकरयो पै छन,वख्खी हैंकी तरफ पहाड़ू का कुजणी कथगा नौन्याळ होला जौंतै प्राथमिक शिक्षा बी मुश्किल से मिलदी,अर जू स्कूल होला बी त उ नौन्यालोक बाठू होला देखणा,किलैकी उंपरै गरिब्यो ठप्पा जू लग्यूं ,उंतै बोंण जांण से,दूर बटी पांणी लौंण से,घास-लखडू कन्न से फुरसत कख छ ? अर वू अगर ये काम नी करला त भूख्खी मोsर जौळा। क्य उंका भाग मा अच्छी पढ़ै लिखै नी छ लिखी ? क्य ऊंन सदनी मौळ माटू रौsण बोगणु। यखा लोग तबी पौढ़ लेख सकदन जब उंपरै गरिब्यो ठप्पा हटळू,अर बिना व्यवस्थित चारु गुजरु गरीबी या अशिक्षा कनक्वे हटण ? जब पहाड़ा लोखू मू अफरु रोजगार तै चलोंsणो तै साधन ही नी रौळा त विकाश मुश्किल छ अर सुख-साधन त सैद सैंणा मा रौंण वळो का भाग मा ही छन।


विकाशा नौ परै अगर हमतै कुछ मिली बी छ त वू छ "टिहरी डाम"। सरकरी लोग एक हैंका तै बधै देंणा छन बल हमुन एशिया कू सबसे बडू डाम बंणै,जू जनता तै बिजली साधन देंण मा विकशो हिस्सा बंणळू । पण कन डाम ? अर कखो विकाश ? ये श्रीमान विकाशा बारा मा अगर पुछण छ त उं टिरी का लोखू से पूछा जू टिरी विस्थापना बाद अफणु समाज से बिछड़ी गेन,नजणी कथगा लोग टिरी तै आज बी याद करी खुदेंणा होला,अर खुदेंण बी किलै नी जख वू बाळापन बटी खेल-खाली तै,लेख-पौड़ी तै,वखो पांणी पेकी,माटा मा हिटी बड़ा ह्वेन,वा टिरी उंतै छोड़ण पोड़ी,अर आज वा विकाशा नौ परै पांण्या निस डूबगी,भळू वींकी खुद उंन कनक्वे मिटोंण।बिंगण मा नी औंणू यू डाम बंणी या डाम पड़ी।



अब्बी बी जगा जगा ड़ाम बंणणा छन,गंगाज्यो पांणी रोकेंणु छ,अर विकाशा नौ पर पतनी क्य क्य खिलवाड़ गंगाजी दगड़ी होंणु छ? फैदा त पतनी कब होलू,जब होलू तब होलू पण गंगाज्या पांणी देखी जू निरासपंत औंदी सैदी वू लिखणा बस मा छ।गंगा ज्वा यखा लोखू पाळ पोषी बडू कन्नी छ,ज्यूंदू त ज्यूंदू स्या मोरया मनखी बी तरणी छ,विंतै लोग अफड़ी प्वटग्यों आग बूझोंणा बाना,बिजल्या न्यूडा  अर डैम बंणैतै अफणु अफणु फैदा अर मुनफू कमैतैँ वीं जीवन देंण वळी माँ तैं आज यू बंधणा छन। जख पांणी अगद्द भण्डार होंणा बाद बी वखा लोग पांण्या बाना तरसंणा होला वख विकाशै परिभाषा क्य होंदी क्वी बिंगै द्यो।पर सैद हम लोखून सदनी यन्नी ठगेंणु रौंण अर एक्केक कैतै अफणी प्राकृतिक सम्पदा ळूटौंणु रौंण।बात साफ़ छ की लोग उत्तराखंडै सभ्यता,संस्कृति तै मिटोंण चांदन।टिरी डुबैतै वख ज्वा सभ्यता पनपणी बी छै जैतै धीरू धीरू करी वखा लोखून बड़ी करी स्या आज पांण्या निस पतनी कैकू बाठू देखणी ? जैं गंगाज्यो यखै धर्म-संस्कृति मा बडू भारी महत्व छ स्वा बी आज बँधेंणी छ।अब सैद यखा पहाड़ बचगेनि त कुछुन विकाशा नौ पर कटेंण अर कुछेकs दैब ही मालिक छ। पण तौं बैरों तै चेतौंण जरुरी छ,खुद यखा लोखू तै बी ऊंतै यू खिलवाड़ कन्न से रोकण जरुरी छ, निथर त आज यू हमरा जड़ळा कटणन भोळ हमुन अफि भ्वें प्वड़ जांण।


गैरसैंण तै राजधानी बंणोणै ज्वा बात होंणी छ त यखा लोग यन बी जंणदन की द्यारदूंण बटी गैरसैंण राजधानी बंणोण मा भौत टैम अर पैसा खर्च होळू । ठीक छ अगर गैरसैंण स्थायी विधानसभा नी बंण सकदी त निसै, बल अंधा त्वे क्य चैंणू बल द्वि आँखा। यांकू मतलब यखा लोग केवल अफ़ड़ा आस-विकाशा सुपन्या देखणा छन अगर राजधानी नसै त पाडू मा उद्योग,कारखाना,सुख-सुविधा वला अस्पताल,स्कूल खोले जंवा त विकाशन अफ़णा आप होंण शुरू ह्वे जांण,तब ज्वा चीज पाड़ा लोखू तै पहाड़ मा ही मिळ जाळी त ऊंन भैर किलै डफकंण अर जू पौड़-गौं आज खाली पोड्यान उंन फिर से हरयां भरयां ह्वे जांण।पण सैद बढ़िया शिक्षा बढ़िया अस्पताल अर उद्योग का बंणणा सूपन्या ही रैगेन अर गौंका गौं बांजा पौड़णा रौंण।


उत्तराखंडा कथगा ताल,पुराचीन मंदिर,कोठी,गढ़ अर जगा यन छन जौंतै क्वी पुछण वळू नी।यूं सब्योंक अफरु महत्व छ,अर सब्बी अफमा क्वी न क्वी ऐतिहासिक किस्सा-कहानी रख दन। अगर यूं सब्यो पर ध्यान दिये जाऊ त यख् "पर्यटन रोजगार" कू रस्ता दिखे सकदो। उत्तराखंडा चार धाम बदरीनाथ,केदारनाथ,यमनोत्री अर गंगोत्री त कुछ मैना ही खुल्यां रौंदन जथगा आमदनी होंदी यूंयी मैनो होंदी पण ताल,गढ़,पुराचीन मंदिर त बारा मैना ही कम से कम यखा लोखू आमदनी हिस्सा त बंण सकदन।


खैर यूं सब से बेखबर पाडू की बेटी-ब्वारी,दाना-सयंणा,लोग-बाग़ अगर कुछ जंणदन त दिन-रात काम कन्न जंणदन।यखा लोग बड़ा ही कर्मठ होंदन जौंका भाग मा बिन्सिरी बटी गैंणा औंण तक बस पुंगड़ी,सेरा कन्न,गौरु-भैंसो तै बोंण बटी घास लौण,पेंणो तै पांणी लौंण,लखड़ा लौंण,मोल-माटू उकरण लिख्युं छ,अर जू टैम बचदू वे ही मा एक हैंकै मनै सुंणी,हंसी खेळी तै रैकी जिकुड़ा तै पुलैं देंदन।वू केवल इथगा ही जंणदन की विकाश हमरा ही हाथ मा छ,स्या वू दिन-रात काम धांणि पर लग्यां रौंदन की कब्बी त आळा दिन बौडितै।अर कखी न कखी कबरी ख़ौयेतै वू बी बोल्दा होला...ब्वेन ही दगड़ा रौंण छौ त बिगळा क्येक होंण छौ।
"लेख-


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