अव्यक्त

 


स्मृति बनूँ या बनूँ स्मारक?
सुधार बनूँ या बनूँ सुधाकर?


पिनाकी बनूँ या ब्रह्मास्त्र?
गाण्डीव बनूँ या पशुपतास्त्र?


मूल बनूँ या मौलिक?
आलोक या अलौकिक?


जीवन या संजीवनी?
दमन या दामिनी?


छंद बनूँ या स्वच्छंद
मुक्तक या निबंध


सागर बनूँगा, छोर भी
सावन बनूँगा, मोर भी
उजाला भी, 
अंधेरा घनघोर भी
समस्या का तोड़ भी
आशा की डोर भी
उत्तर बनूँगा, प्रश्न भी
सूर्य उष्ण भी


बना बनाया कौन आया
सब यहीं बनते हैं
बनो, बनाओ स्वयं को 
शांति कमल हरी सा
या तांडव करते 
शंकर का त्रिशूल
मानव ईश की 
सबसे प्रखर रचना 
हो सकती है
या ईश मानव की 
सबसे बड़ी भूल?
रच जाना ही 
सबसे प्रमुख ध्येय है
रचयिता ही 
सृष्टि का मूल...