बी मोहन नेगी


पहाड़ के लोकजीवन व लोक कला को अपनी तूलिका से उकेरने वाले चित्रकार बी मोहन नेगी एक ऐसे कलाकार हैं जिनकी कला एक अनुभूति है, जिसे महसूस करना जितना सरल है, शब्दों में बांधना उतना ही कठिन। प्रचार-प्रसार से दूर गढ़वाल में रहकर भी नेगी जी ने अपने चित्रशिल्प को नयनाभिराम आयाम दिये हैं।
पौड़ी जनपद के मनियारस्यूं पट्टी के पुण्डोरी गांव के मूल निवासी श्री नेगी अपने कविता पोस्टरों व रेखांकनों के लिये अधिक जाने जाते हैं। कविता पोस्टर और भोजपत्र व कागज की लुग्दियों से तैयार मूर्तिशिल्प को भी उन्होंने अधिकारिक ढ़ंग से अभिव्यक्तियां दी हैं। नेगी जी की भोजपत्र कला पर दूर- दर्शन द्वारा सन 1992 में 'फेस इन द क्राउड' कार्यक्रम प्रसारित किया जा चुका है।
बी मोहन नेगी ने कला की कोई विधिवत शिक्षा ग्रहण नहीं की है। उनका कहना है कि प्रकृति ही उनकी शिक्षक और प्रेरक है। पहाड़ी लोककला और लोक जीवन की दुश्वारियों को अपनी कलाकृतियों से उकेर कर उन्होंने आम आदमी से पहाड़ का परिचय करवाया है। नेगी जी के अनेक रेखांकन देश की अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके हैं। उत्तराखण्ड और देश के अनेक भागों में उनकी कविता पोस्टर प्रदर्शिनयां आयोजित हो चुकी हैं। गढ़वाल और कुमाऊँ के अतिरिक्त हिन्दी के अनेक कवियों के मनाभावों को रेखांकनों और चित्रों में रूपान्तरित करने वाले नेगी जी एक मनस्विद की तरह, काव्य जगत को एक अभिव्यक्ति की एक नई भाषा देते रहे हैं। गोपेश्वर को अपनी साधना स्थली मानने वाले श्री नेगी की पहली कविता पोस्टर प्रदर्शनी सन 1984 में गोपेश्वर में ही आयोजित की गई थी। अच्छी कवितायें ढूंढना और उसको रेखांकित कर कागज पर उतारना, नेगी की दो दशक की दिनचर्या है और इसी बहाने कविता को वे सामाजिक बहस का विषय बनाते रहे हैं।
हिमगिरी सम्मान, प्रकाश पुरोहित सम्मान, के अतिरिक्त गढ़वाल सभा, मोनाल, छुयांल, च. कुंवर बत्र्वाल आदि अनेकों संस्थाओं द्वारा नेगी जी को सम्मानित किया जा चुका है। पर्यटन विभाग श्रीनगर द्वारा भी बी मोहन नेगी को सम्मानित किया गया।