वे बोले-
कितने शर्म की बात है
कि भेड़िये
नाखून दिखा-दिखाकर
सरेआम घूम रहे हैं
और हम कांधे पर
बंदूक टांगे भी
उनका कुछ
बिगाड़ नहीं पा रहे हैं
हमने कहा-नेताजी
तुम जैसे लोगों ने
लोकतंत्र को
कायरतंत्र में
बदल दिया है
वे जानते हैं कि
उनके पास
वोटों का जखीरा है
और तुम्हें
जखीरों की जरूरत है
तुम चाहो भी तो
अपने जंग लगे कारतूस
उनकी ओर
उछाल नहीं सकते
लेकिन याद रखो
तुम्हारी यही कायरता
एक दिन धीरे-धीरे
नपुंसकता में बदल जायेगी
उस दिन न तुम रहोगे
न तुम्हारा लोकतंत्र
औ' तुम्हारी चर्बी चढ़ी गर्दन
उन्हीं भेड़ियों के जबड़े में
फंसी नजर आयेगी
भेड़िये