ग्रामीण उत्तराखंड का लोक खेल 
 

  खेल  समय काटणो , बोरडम डलनेस खतम करणो , समयौ सदुपयोगी उपयोग , मनोरंजन , प्रतियोगिता मानसिकता तै ज़िंदा रखणो , अहम तुष्टि आदि क वास्ता एक या अनेक कार्य छन।  

खेल एक संरचनात्मक कार्य च जखम मनोरंजन व प्रतियोगिता दगड़ी चलदी , अर भौत सा समय सिखाणो जरिया बि च. 

खेल वास्तव म एक रचनात्मक, कलयुक्त जिस्मानी  च  जखम जस्मानी शक्ति , बुद्धि , चातुर्य व टीम भावना प्रदर्शन झळकद इ नि बल्कण म आवश्यक बि हूंद।  

    खेलम जगा व समौ आवश्यक करक (फ़ैक्टर ) आवश्यक छन 

खेल म प्रतिफल की क्वी गारंटी नि होंदी जां से खेल रोमांचक ह्वे जान्दन। 

खेलों म नियम धियम जरूरी  हूंदन। 

खेलम प्रतियोगिता हूंदी पर युद्ध नि बुले सक्यांद। 

खेलोंम खेल आकार , खेल सामग्री आकार , अर लक्ष्य भौत बड़ी भूमिका निभांदन 

खेलम द्वी भागीदार या द्वी से जादा खिलाड़ी जरूरी हूंदन।  जब एक ही खिलाड़ी हो जन एकि मनिख तास  , चौपड़ या ख्यालो तो वो खेल विशेष बुले जालो याने यो व्यसन माने जालो । 

खेल म चुनौती , बातचीत , एक हैंक तैं उत्साहित या हतोत्साहित करण , मानसिक या शारीरिक संवाद बि आवश्यक हूंद। 

खेल खिलंदेर , दिखंदेर दुयुं तै रौंस दींदो। 

 खेल म नई तकनीक अपनाण से खेलक रूप बि बदल जांद जन आज वीडिओ गेम।  मनुष्य द्वारा तकनीक आविष्कार से न्य खेल बि आविष्कार ह्वेन जन हड्डी की जगा पत्थर या लकड़ी उपयोग। या धनुष तीर म आधुनिक तकनीक को इस्तेमाल।  

  एक जगा को खेल दुसर जगा प्रसारित बि हूंद अर भौत सा दफे नया खेल रूप ले लीन्दो जन हॉकीन  गंगासलाण क्षेत्र मा हॉकी न  हिंगोड़ का रूप ले अर  रग्बीन  हथगिंदी का रूप ले ल्याई। क्रिकेट खेल कुछ हौर  रूप से शुरू ह्वे जो आज कुछ हौर इ  खेल ह्वे गे या टेस्ट मैच  50 ओवर्स या 20 ओवर्स गेम म विकसित ह्वे गे।   

भौत सा समय एक खेल हैंको खेल तै जनम दींदो कण फुटबॉल या क्रिकेट से गैंबलिंग /जुआ खेल या तास जुआ म तब्दील ह्वे। 

  युद्ध प्रतियोगिता आम मनुष्यों मनोरजन वास्ता लोक खेल रूप बि ले लीन्दो जन गढ़वाळम राजाओं का युद्ध खेलन लोक खेल सरौं रूप ले ल्याई। 

लोक खेल अनउत्पादक व्यसन बि ह्वे सकदन जो मवासी घाम बि लगै सकदन।  

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        प्रागैतिहासिक कालीन  खेल से आधुनिक  काल  तक खेलों म विकास हूंद गे। 

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अनुमान लगाए जै सक्यांद बल मनुष्य को पृथ्वी पर अवतरण  का दगड़ी खेल बि शुरू ह्वे गे होलु जु व्यक्तिगत रतियोगिता से समाज आनंद हेतु म तब्दील बि ह्वे होलु। 

   अंदाज लगाए जै सक्यांद बल मनिखन कैक खुट म पत्थर धोळी ह्वालो तो घायल मनिखान बि बदला म पत्थर धोळी होलु जु कुछ समय बाद सामजिक खेल बि ह्वे होलु। 

   या एक स्त्री का बान द्वी मर्दो म भिड़ंत ह्वे होली अर बाद म सामजिक खेल बण गे होलु। 

 पत्थर फेंकण/चुलाण  खेल बि मनुष्य सभ्यता को शैशव काल को खेल रै होलु। 

   डाळ म चौड़ि  फल तुड़ण बि मनुष्य सभ्यता का शीषव कालीन खेल रै होलु।

भगम भाग /छौंपा दौड़ बि मानव सभ्यता को सबसे पुराणो खेलों म एक खेल ह्वालु। 

       इनि कुस्ती अर मुक्केबाजी बि राचीनत्म खेल होलु अर  7000 ईशा काल  से पैलक आर्किओलॉजिकल  चित्रों अन्वेषणों म मील बल कुस्ती तै लोग दिखणा छन.

आज गढ़वाल म अयेड़ी खिलण (शिकार खिलण )  बंद ह्वे गे किन्तु शिकार करण तो   मनुष्यक प्राचीनतम खेल च। 

  सामूहिक रूप से छ्यूंती  तुड़ण , खुज्याण अर फिर जैन ज्यादा छ्यूंती मिल जावन वो वैक छयूंती ,  बि त एक किस्मौ खेल च अर शायद पाषाण काल म बि राई होलु। 

  जानवरों पैंथर दौड़नै प्रतियोगिता तो प्राथमिक खेलों मादे एक खेल ही होलु  

पत्थर युग का आर्किओलॉजिक खोजों से पता चलदो बल बाग़ बकरी ,  शतरंज आदि जन खेल  शुरू ह्वे गे छा। 

    लिखणो मतबल च बल खेल पृथ्वी म मनुष्य अवतरणा  साथ ही शुरू ह्वे गे ह्वाल अर  तकनीक व मनोरंजन साधनों ब्लाव से प्रभावित हूंद गेन।  

घुड़दौड़ प्रतियोगिता गढ़वाल म कम ही हूंद किंतु पशु पालतू करण का बाद भौत सा पशुओं म चढ़न को खेल समाज म बरकरार रै इ ह्वाल।  गढ़वाल म ब्याला म चढ़णो खेल म्यार दिख्यां छन।  या खाडू म बच्चा चढ़िक   खाडु दौड़ाण  खेल बि म्यार दिख्यां छन जो भौत इ पुराणो खेल च।  सातपट्टी /सतोलिया या पिट्टू (महाभारत  नाम लगोरी ) या सात पत्थर थुपड़ी भि पाषाण कालीन खेल ही होलु। 

महाभारत का भौत सा खेल अवश्य ही गढ़वाल म वै बगत  (मौर्या काल से लेकि गुप्त काल तलक ) खिले जांद रै होला किलैकि गढ़वाल -जौनसार , रवाई युधिस्ठर व दुर्योधन दुयुं का मित्र प्रदेश छ अर बढ़ राजा का प्रभाव तो पड़दो ही च 

   महाभारत काल म कुस्ती , मुकाबाजी , तीर कमान , भाला चुलाण , बा कटण , चौपड़ , जुआ आदि खेल महाभारत म वर्णित छान याने अवश्य ही गढ़वाल म बि खिले गे होला।  

)             उत्तराखंड का लोक खेल (ब्रिटिश कालीन व स्वतंत्रता उपरान्त का लोक खेल ) 

 

     ये लेखम हम वूं इ खेलों जिकर करला जो आधुनिक काल म खिले जांद छा। 

 

गारि /गिट्टे खिलण - यु खेल जनान्युं खेल च।  जखम जाननी पांच गारी  हथ  म लींदी  च एक  गारी उछाळदि  अर चार भ्यूं धरदी अर उछाळयूं  गारी  हवा म पकड़द , फिर द्वी गारी उछाळे जयान्द तीन भ्यूं  अर द्वी गारि पकड़न पोड़द , फिर तीन उछाळण  द्वी भ्यूं तीन जारी हवा म पकड़न  , फिर चार उछाळण एक भ्यूं।  जु नियम से नि उछाळ  या हवा म नि पकड़ त  हार। 

पाछ गारी - यु खेल बि जनान्युं को इ च इखम छुटि गारी अंगळयूं मध्य फंसाये जान्दन अर फिर उछाळे जांदन अर गारी पकड़े जान्दन। 

गारि क्वाठा म डळण   -  जनान्युं खेल च।  पांच  गोळ मटोळ  गारी प्रयोग म आंदन। प्रतियोगी  बैं हथ तेन भ्यूं धरिक गुफा जन बणांद अर बगल म पांच गार्युं तैं  हैंक हथन  उछाळिक  गुफा याने क्वाठा पुटुक लांद।  

घिरपातयी  -यु कुमाऊनी शब्द च अर अधिकतर बच्चा खिलदन।  ये खेलम  द्वी व्यक्ति  (लिंगभेद ना )  खड़ा हूंदन अर भ्यूं  बीचम क्वी झुल्ला गिंदी या पत्थर धरे जांद।  पैल  द्वी  खिलाड़ी एक हैंकाक हथ बोटिक रखदन अर फिर क्वी बि भ्यूं धर्युं बस्तु /गिंदी उठाणो प्रयत्न  करदो।   

इच्चि दुच्ची खेल तो आज भी प्रचलित च।  इखम चौक से खाना बनाये जांद अर एक चपड़ पत्थर तै उठाये जांद।  

    लुक्का छिपी - लुका छिपी भौत सा खिलाड़ी (अधिकतर बच्चा ) खेल सकदन।  इखम सब लुकि जांदन अर एक (जै तै चोर बुले जांद ) ऊं तै खुज्यांद।  जु चोर सब्युं तै खोजी ल्यावो तो चोर उपाधि खतम करिक हैंक तै चोर बणाये जांद निथर फिर से बाकी लुकदन अर चोर खुज्यांद। 



घुंड फोड़ - इखम द्वी खिलाड़ी भाग लीन्दन।  द्वी एक तंग म खड़ा हून्दन अर एक घुंड एक हाथन बोटिक रखदन अर फिर अपण अपण घुंड से हैंकाक घुंड पर मार करदन।  

काणो बणिक पकड़न -इखम एक  व्यक्ति क आँखों पर पट्टी बांधिक काणो बणाये जांद अर फिर वै तै दूसर समूह का लोगुं तै पकड़न पोड़द। 

पकड़ा पकड़ - इखम बि एक व्यक्ति हौरुं  तै पकड़द। 

इकटंगड्या - एक व्यक्ति तै घुंड बोटिक एक टांग से कुछ हौर सदस्यों तै पकड़न पोड़द। 

छौंपा दौड़ - छौंपा दौड़ कथि किसमाक  हूंद।  एक व्यक्ति हैंक व्यक्ति पैथर दौड़िक पकड़द।  पशुओं पैथर दौड़न बि खेल हूंद।  


डुडड़ कूद याने रस्सी कूद खेल - यु खेल एक व्यक्ति बि खेल सकद तो समूह म बि खिले जांद।  समूह म रस्सी कूद खेल का समय एक लम्बी रस्सी तै द्वी छोर से पकड़े जांद अर फिर अळग उन्द करे जांद अर बीच म खड़ा व्यक्ति इन कूददन कि रस्से पर खुट नि लग याने तबि खुट भ्युं धरण जब रस्सी नि हो। 


रस्सा कस्सी - एक डुडड़ (पैल घासक हूंद छौ फिर भ्यूंळ या भांग का स्योळक अर अब नाइलोन का ) तै बीच मध्य (क्वी निसाणी ) म लेकि  द्वी समूह अपण अपण  तरफ खैंचदन।  जु समूह हैंक समूह तै निसाणी से वार लै जावो वो समूह जीत जान्दो। 

  कुद्दी मरण /फाळ मरण - एक गौळ  या रस्सी या पुंगड़ क छुटि दीवाल फांदणो बान कुद्दी/फाळ  मारे जांद।  यु खेल इखुलि बि हूंद या समूह म बि हूंद।  फिर लौंग जम्प जन कुद्दी /फाळ बि मारे जांद। 

 झुळा खिलण - डाळ म झूला डाळे जांद अर प्रतियोगिता हूंदी कि को कथगा दूर तक आकाश म झूला म झूळद।  

बा कटण  (तैराकी ) - हौज,  रौ , गदन , नदी म तैराकी का कई करतबों की आपस म औपचारिक या अनऔपचारिक प्रतियोगिता। इनि उच्ची जगा से पाणि म फाळ मरणो खेल बि खिले जांद।  पाणि पुटुक कथगा देर तलक रै सकुद कु बि खेल छौ कबि।  बा काटिक गदन /छुटि नदी पार करणो खेल बि प्रचलित थौ 

 डाळम चढ़ण - असलम ये खेल म प्रतियोगिता बि हूंद अर नी बि हूंदी।  विशेषज्ञ द्वारा डाळम तेजी से चढ़न अर उतरण करतब हूंद।  

पत्थर घुरैक चुलाण - इखम प्रतियोगी चपड़ छुट पत्थर गहराई या पेड़ जिना घुरैक चुलांदन अर जैक पत्थर सबसे दूर चल जावो वैकि बड़ाई (विजेता ) हूंद। एक हैंक रूप च पत्थरों से आम तुड़ण। 

घुंघरा घुराण -काठौ घुँघरा घुराण एक प्रतियोग्यात्मक खेल  छौ 

बाग़ बकरी खेल - यु द्वी मनिखों मध्य को खेल च जखम एक त्रिकोण बणैक घर बणाइ जान्दन।  पत्थरों /गारिक एक बाग़ अर तीन बखर हूंदन।  एक बाग़ वळ हूंद अर एक बखरी वाळ।  अब एक एक कौरिक घर चले जान्दन।  यदि बागन तिनि बखर खै दे तो बाग़ वल जीती गे अर जु बखर वळन बाग़ घिरै दे तो बखर्या जीत जान्दो। 

गुच्छी खिलण - रीठा , भैन्स्वळ , म्वाट गारों या कांचक गोळी से गुच्छी खेल हूंद छौ या हूंद च। 

कांचक या पथरक गोटी खिलण - इखम बि गुच्छी या गोल घ्यारा बणैक खेल खिले जांद। 

इलाड़ु घट्ट रिंगाण - यु प्रतियोग्यात्मक खेल तो नी पर कहल तो छैं च. बरखा मौसम म जब गदन बगणा हो तो इलाड़ु दाणी का मध्य  कठगी पुड़ै क इलाड़ु तैं घट्ट बणैक कम  गिरदो पाणि तौळ धरिक घट्ट जन रिंगाये जांद।  अब छ कि ना पता नी. 

रड़न -  उंधार लगीं लम्बी  पटाळ  या रिक्क द्वारा ल्हसोर्यूं  घास म  बच्चा क्या बैक या बुड्या बि रड़दा  छा।  प्रतियोगिता बि हूंद छे।  कभी कभी उंधारिक लम्बो र्याड़ (रयाड़ ) म बि रड़े जांद छौ  उन बड़ो डाळौ ग्वाळ म बि रड़े जांद। 

खाडु लड़ान - बच्चा लोक खाडु लड़ांदन 

मुर्गा झपेटी - मुर्गों लड़ाई कम प्रचलित छे किन्तु कुछ जगा मुर्गा लड़ाई खिले जांद छौ। 

 तीर चलाण - दशहरा का समय पर रामलीला प्रचलन छौ तो बच्चा   रामलीला की नकल करदा छा अर भौत दैं बच्चा बाँसक धनुष से बाँसक तीर चालन   प्रतियोगिता बि  करदा छा। 

मल्ल युद्ध व मुक्केबाजी - बच्चा अधिकतर भौत दैं मल्ल युद्ध या पहलवानी करदा छा। 

सरौं खेल - पैल राजा क सैनिक तलवार युद्ध खेल खिलदा छा तो ऍम जन सरौं नृत्य खेल। 

तास खिलण - तास या पत्ती का भिन्न भिन्न खेल खिले जान्दन जखम जुआ या तिप्प्ति आज तो भौत इ प्रचलित ह्वे गे। 

चौपड़ खेल - चौपड़ तो महाभारत काल से पहाड़ों म प्रचलित च। 

खुट गिंदी - खुट गिंदी फुटबाल को एक रूप च हां ! गाँवों म गिंदी कपड़ा क बणदि छे। 

 हिंगोड़  -     हिंगोड़ हॉकी का रूप च अर गंगासलाण  म उत्तरायणी या मकरैणी का एक दिन पैल सेकाक दिन  द्वी गाँव , प्रौढ़ व नाटों (बिन ब्यौ ) या द्वी क्षेत्रों मध्य खिले जांद।  गिंदी कपड़ा क बणाये जांद  तो हॉकी स्टिक बांस का जड़ तना सहित से बणद। 

हथ गिंदी - हथ गिंदी  रगबी को गढ़वाली रूप च।  गंगासलाणम मटियाली (डाडामंडी , लंगूर ) , देवीखेत (डबरालस्यूं ) , कस्याळी /थलनदी (उदयपुर ) , कठघर (ढांगू ), सतपुली (लंगूर तरफ ) आदि जगों  व मनियारस्यूं म मकरैणी दिन द्वी पत्तियों मध्य खिले जांद।  गिंदी चमड़ा की द्वी स्रों म कंगड़ा  हूंदन।  गोल पोस्ट द्वी तरफक गदन हूंदन अर दसियों लोग खेल सकदन।  अपण अपण पत्ते का गदन गिंदी चुलाण ही जीत मने जांद , दुफरा बिटेन खेल शुरू हूंद जो रात तलक चलदो जांद। 

गिल्ली डंडा खेल - गिल्ली डंडा खेल भौत पुरण खेल च , इखम टुल्ल खाण महत्वपूर्ण हूंद। 

सिमनटाई /पिट्ठूपोड़ - यु खेल भौत प्रचलित छौ बच्चों मध्य।  ये खेल म सात चपड़  पत्थर एक हैंकाक मथि धरे जांदन फिर एक टीम गिंदी से पिट्ठू गिरान्दी अर प्रतियोगी टीम गिरयां पत्थर दुबर धरदी याने पिट्ठू बणाँदी।  ज्वा टीम फिर से पिट्ठू बणै द्या वो टीम जीतदी छे। 

कबड्डी - समूह म कबड्डी खेल खिले जांद। 

खो खो - खो खो खेल भौत प्रचलित छौ शायद अब नी। 

कुछ खेल जो प्रतियोगी खेल त नि छन किन्तु जिस्मानी व मानसिक करतबों का कारण गढ़वाळ  म खेल बुले जांदन -

माछ मरण - इखम भिन्न प्रकार से माछ मारे जान्दन। 

अयेड़ी खिलण (विभिन जंगली पशुओं शिकार )

हल्दी लगाण - हल्दी हाथ क असमय पर  हल्दी दूसरों पर लगाण 

  रिंगण - ये खेलम व्यक्ति रिंगद च अर प्रतियोगिता बि ह्वे सकद तो बगैर प्रतियोगिता का बि रिंगे सक्यांद। 

 कंगण तुड़न - बोला ब्योली ब्यौ बाद वर व वधु एक हैंकाक हथ पर बंध्यां कंगन तोड़दन।  

लांग खिलण -  हर गाँव म हर बारे सलाम चैट क मैना बादी -बादण सपरिवार ऐक नाटक खिलदा छा या गीत गांदा छा अर पंदरों दिन लांग खिलदा छा।  लांग द्वी प्रकारौ हूंद छा।  एक बांसक मजबूत डंडा  जमीन म खडाये जांद अर अळग टुक्ख म एक चौकल धरे जांद बादी चौकल म पेट का बल रिंगद छौ यदि बादी भ्यूं गिर गे तो अपशकुन माने जांद छौ अर वै तै मार दिए जांद छौ।  दुसर हूंद छौ एक धार से घास क रस्सा भेळ या घाटी जिना लटकाये जांद छौ धार बिटेन  रस्सी म बन्ध्यूं चौकल का ऊपर  बादी बैठिक तौळ भेळ जिना रौड़ी आंद छौ।  यदि बाड़ी गिर गे तो वैकि हत्त्या करे जांद छौ।  अब यी द्वी खेल बंद ह्वे गेन 

ग्यूं या अन्य फसल का बलड़ों  म छजजा से  कुदण - जब फसल कट जांदी छे तो  दैं का बान पक्यां बाल  चौक म धरे जांद छा तो बच्चा छज्जा से फाळ मारिक बलड़ों म गिर्दा छा।  मजा का वास्ता यु खेल हूंद छौ।  

तमाखु बूंद दैं नचण - मुंगरी फसल बाद खेतों म तमाखु बोये जांद थौ अर बीज बूणो बाद बच्चों तै नचाये जांद छौ तो पकड़ा पकड़ , छौंपा दौड़ खेल खिले जांद छौ। 

गिगड़ुं  लड़ै  - म्यार  खिल्युं च।   एक खड्डा  म गिगड़  धौरिका  गिगड़ों  एक हैंक तै खिंचण दिखण  मजेदार हूंद छौ।   

 

   नया नया  खेल आण से व मनोरंजन का अन्य  साधन उपलब्ध हूण  से    अब तकरीबन अधिकतर खेल ख़तम हूणा छन आज आवश्यकता च बल यूं खेलों तै यूट्यूब म  संरक्षित करे जाव।