हाइकु


फीके हो जाते
सारे रिश्ते-नाते
कुर्सी को पाते।


पहले गले
बाद जीत जाने के
पैरों के तले।


घोषणा पत्र
जनता बहकाने 
को षडयंत्र।


कुर्सी का नशा
इस कदर चढ़ा
हुयी दुर्दशा।


पक्ष-विपक्ष
राजनीतिक अक्ष
देखे समक्ष।


वाह री रीति
करते राजनीति
बगैर नीति


दल बदल
कभी रूप बदल
जनता छल


आम सा बोल
चूसता खास, आम
जैसा आम को