नारी स्वाभाव के विरुद्ध


अभी कुछ वर्ष पूर्व पौड़ी में एक ऐसी घटना हुई जिसे सुनकर मैं तो हैरत में हूँ। किसी इण्टर कालेज के एक प्राध्यापक पर एक छात्रा ने छेड़खानी का आरोप लगाया। जिसके बाद सभी छात्रों ने मिलकर न सिर्फ प्राध्यापक की पिटाई की बल्कि वह बेचारा पिछले एक महीने से जेल में बन्द है। बेचारा इसलिये कह रहा हूँ कि पौड़ी का पूरा समाज, सभी भद्रजन, उस प्राध्यापक को निर्दोष मानते हैं। सभी स्थानीय निवासी इस आरोप को एक षडयंत्र मान रहे हैं। सभी नागरिक, स्त्री-पुरूष थाने में जाकर प्राध्यापक को छोड़ने की गुहार लगा चुके हैं...पर थाने कानून से चलते हैं और लोगों के पास केवल अपना सहज बोध है और उन प्राध्यापक के जीवन का रेखाचित्र है, पर लड़की की एक गवाही इन सब पर भारी है। कहा जा रहा है कि उक्त प्राध्यापक बहुत ही खडूस किस्म का आदमी है, न छात्रों को नकल करने देता था, न मोबाईल का उपयोग, कहते हैं कि कालेज परिसर में मोबाईल न ले जाने के कारण वह छात्रा आपने ब्वाॅय-फ्रेंड से बात नहीं कर पाती थी, तो दोनांे प्रेमियों ने टीचर को ही फंसाकर उनकी यह गत बना दी। कहा तो यह भी जा रहा है कि उक्त प्राध्यापक ने कालेज के टीचरों द्वारा प्राइवेट ट्यूशन लेने पर भी पाबंदी लगाई थी, अतः हो सकता है कि कालेज के कुछ अध्यापक भी इस षडयंत्र में शामिल हों। क्या किसी स्त्री के आरोप भर लगाने से कानून किसी निर्दोष व्यक्ति का ऐसा अपमान कर सकता है? आरोपी को जेल में बन्द करने के बाद ही उसे अपनी सफाई का मौका दिया जाता है, यदि साल भर बाद आरोपी निर्दोष साबित हुआ तो क्या कानून उसकी प्रतिष्ठा वापिस दिला सकता है? और आरोप लगाने वाली लड़की को दण्डित किया जा सकेगा? और लड़की से किस तरह इस झूठे आरोप की भरपाई की जायेगी? मुझे तो लगता है कि इस कानून का व्यापक उपयोग करने के लिये देश का सत्तारूढ दल पूरे समाज का प्रेरणास्रोत बना हुआ है। जो भी व्यक्ति कांग्रेस के विरूद्ध मुंह खोलता है, तोता उसे काटने आता है, बलात्कार का आरोप लगाया जाता है...झूठा आरोप लगाकर जेल में बंद कर दो और मीडिया में बैठे कुछ पालतू लोगों को इन व्यक्तियों की मानहानि करने पर लगा दो...एक शंकराचार्य पर हत्या का आरोप लगा, नित्यानंद को फर्जी सीडी में फंसाया गया, आसाराम पर तो बलात्कार का पूरा सीरियल ही लांच किया गया है, जिस लड़की ने रेप का आरोप लगाया था, लैब ने उसकी पुष्टि नहीं की तो छेड़खानी का मुकदमा दर्ज किया गया...अब छेड़खानी का क्या प्रमाण है? पर अपना तोता है ना? और जिस मनु सिंघवी की असली सीडी थी, वह इन चैनलों पर देश की महान पार्टी का प्रवक्ता बन कर ज्ञान बांटता है। यदि अपने चैनल नैतिकता के इतने बड़े सिपाही हैं तो बहराइच में ननों का यौन शोषण करने वाले पादरी पर भी आसाराम जैसा सैक्स सीरियल प्रसारित होना था। पर यह सब कांग्रेस और मिशनरियों के ईशारे पर होता है। अभी भवेश पटेल ने भरी अदालत में दिग्गी और शिन्दे पर आरोप लगाया कि संघ प्रमुख और इन्द्रेश को अजमेर सरीफ ब्लास्ट में फंसाने के लिये इन दोनों ने एन.आई.ए. के आई.जी और कांग्रेसी संत, प्रमोद त्यागी उर्फ प्रमोद कृष्णन की सहायता से लगातार दबाब बनाया...किसी चैनल ने सीरियल चलाया? अभी रामदेव के भाई को भी बलात्कार के आरोप में फंसाया जा रहा है, तो छात्र भी तो यही करेंगे। कांग्रेस का विरोध करने की सजा जिस तरह से रामदेव को दी गई, बालकृष्ण जैसे मूर्धन्य आयुर्वेदाचार्य जिन्हें कि आयुर्वेद की महान सेवा के लिये पुरस्कृत किया जाना चाहिये था, उन्हें फर्जी नागरिक बताकर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और जो फर्जी बंग्लादेशी इस देश में घुसे हुये हैं उनका राशनकार्ड बनाने की होड़ कांग्रेस में लगी हुई है। मुझे महान संत ओशो का स्मरण आता है...जब अमरीका के ईसाइयों ने षडयंत्र करके, उन्हें धीमा जहर देकर पानी के जहाज से भारत भेजा, तो भारत के मीडिया ने भी उनकी खूब खिल्ली उड़ाई, सब जानते हैं कि भारत में आधे से अधिक बड़े अखबार और अस्सी प्रतिशत चैनलों के मालिक विदेशी हैं...तो वे वही वाणी उच्चारते हैं जो ईसाई मिशनरी चाहती हैं, ओशो की परालौकिक उपस्थिति से जिस तरह पूरा पश्चिमी समाज आन्दोलित हुआ, वह पादरियों की दुकानदारी के लिये बहुत बड़ा खतरा था, इसलिये ओशो का नाम सैक्स कथाओं से जोड़कर उन्हें सैक्स रैकेट चलाने वाले व्यक्ति की तरह प्रस्तुत कर दिया गया। जिस देश के ज्ञान का प्रसारण ओशो कर रहे थे, उन्हीं मूर्खों ने उस परम मानव का उपहास किया। बदनाम किया, जिस संत की दिव्य वाणी और भारतीय वांग्मय की विशद विवेचना के लिये हमें उनके चरणों को पूजना था, उसे हमने भी मीडिया की तरह सैक्स-गुरू का तमगा दे दिया। मीडिया अपनी इस ताकत को जानता है, इसी कारण वह दशानन की तरह दस मुंह से कांग्रेस की सेवा में लगा है...यह कलियुग है, उस प्राध्यापक की तरह जो सदमार्ग की बात करेगा, दण्डित होगा। कांग्रेस ने अपनी शैली से समाज में जिस तरह के चरित्र का विकास किया है, वहां छात्र-छात्रायें ऐसे ही हथकण्डे अपना कर अपनी भावनायें व्यक्त करते हैं...कहते हैं न...जैसा राजा वैसी प्रजा...