पूंजी का पंजा

तुम्हारी स्थिति 
ज्यों की त्यों है
तुम पत्थर तोड़ो
तुम्हें पैसे की चाह क्यों है?
तुम तो केवल वामपंथ के 
सपने बुनते रहोगे
भूख से मरने के लिये
एक दूसरे को चुनते रहोगे
मैं तो पूंजीवाद हूँ
मैं पूरी दुनियां में 
विचरण करता हूँ
सस्ते से सस्ते मजदूर को 
झोली में भरता हूँ
हम पूंजीपतियों के बीच
हमेशा धन की गंगा बही है
काम खत्म होने पर,
इन मजदूरों के लिये
कोई जगह नहीं बची है
ये मजदूर तो 
समाजवादी साहित्य का 
अभिन्न अंग हैं
अरे! पूंजीवाद व साहित्य में 
बड़ी पुरानी जंग है
माक्र्स, दिदरो व रूसो ने
मेरा जीना हराम कर दिया
मैं तो समय-समय पर
लोभ की चपेट में
शासन को भी लाता हूँ
गरीबों का रक्त चूषक हूँ
पूंजीपतियों को 
भरपेट खिलाता हूँ
इसलिये फिर 
इन गरीब मजदूरों का 
नाम न लेना
इनसे मेरा कोई वास्ता नहीं
इनके लिये मेरे पास 
कोई रास्ता नहीं
क्योंकि मैं तो पूंजीवाद हूँ