सब रेत है


रक्त पूरी पीढ़ी का श्वेत है,
मेंहदी तो संस्कृति का उपदेश है।
उन्माद, अत्याचार है, आतंक / यह,
राजनीति का सामुहिक सन्देश है।
शिक्षा, भिक्षा बनी / युवा, जुवा हो गया,
कौन कहेगा कि यह वही देश है।
तत्वदर्शन, देशनायें चल बसीं
देह पर आसन जमाये वासना का प्रेत है।
बुगलों की भक्ति चल निकली है,
पानी का मछली से मतभेद है।
आप को बतायें एक राज की बात,
रिश्ता / पुस्ता सब रेत है।