विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम। पात्रत्वा(नमाप्नोति धना(र्मः ततः सुखम्। अर्थात, विद्या प्राप्ति का प्रथम उद्देश्य एक बेहतर इन्सान बनना है। ज्ञान मानव को सच्चे सुख की ओर ले जाता है। ध्यान देने की बात यह है कि कोई भी प्रशिक्षण अथवा डिग्री योग्यता का प्रमाण पत्र नहीं है। प्राप्त विद्या से विनम्रता एवं सेवा भाव जागृत होने से इन्सान में योग्यता जन्म लेती है और तभी वह सच्चे अर्थों में धन सृजन में सक्षम हो पाता है। सृजित धन- सम्पदा का अंश जब जन कल्याण के कार्यों में लगाया जाय, तभी जीवन में सच्चे सुख की अनुभूति होती है। इस मंत्र से स्पष्ट है कि विद्या को योग्यता में बदलने के लिए सोच में बदलाव जरुरी है, ताकि अपनी उपलब्धियों का योगदान समाज और देश के लिए भी हो सकें। अनाचार एवं भ्रष्ट तरीकों से जमा किया हुआ धन समाज के किसी काम नहीं आता है। जबकि योग्यता से निर्मित धन सामाजिक अर्थ व्यवस्था के लिए शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त के सामान होता है। जिस प्रकार मंदिर में दर्शन के लिए मन में एक आस्था का भाव जागृत होता है, ठीक उसी तरह कुबेर के खजाने की तरफ अग्रसर होने के लिए भी मन का उदार और संतुलित होना अति अवश्यक है ताकि सही निर्णय लेने के लिए किसी प्रकार का संशय, लालच और भय मन में न रहे।
आखिर कुबेर का खजाना है क्या? इस खजाने से परिचित होने से पहले अपार उर्जा के श्रोत के बारे में एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं। सर्वविदित है कि सूर्य देव संसार में उर्जा के अनंत भंडार के मालिक हैं, और वह अपने इस अक्षय सम्पदा को पूरे ब्रह्मांड के उपयोग के लिए प्रदान करते हैं। पाषाण काल से लेकर अब तक मानव अनेक तरीकों से इस उर्जा को अधिकतम उपयोग में लाने के लिए प्रयत्नशील रहा है। तकनीकी विकास ने सौर उर्जा से विद्युत का निर्माण संभव किया है, जिसका लाभ मानव जीवन को मिल रहा है। परन्तु, अभी भी इस अपार उर्जा स्रोत का लघुतम अंश ही उपयोग में लाया जाता है। जन साधारण अभी भी सोलर कुकर तक प्रयोग में नहीं ला पाता है। इसका कारण जागरूगता का आभाव रहा है। सौर उर्जा की तरह ही आज हर देश में धन के असीमित खजाने उपलव्ध हैं, जो ‘स्टाॅक मार्केट’ के नाम से जाने जाते हैं। इन बाजारों में हर दिन खरबों का व्यापार होता है। हमारे देश में भी स्टाॅक मार्केट की व्यवस्था है और इसमें पांच हजार से ज्यादा छोटी, बड़ी सभी कंपनियों के शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है, जिससे प्रति कार्यदिवस पर चार लाख करोड़ से ज्यादा का व्यापार होता है। अभी तक देश में कुल ५प्र0 लोग ही इस बाजार से जुड़े हुए हैं। देश की बड़ी जनसँख्या वित्तीय जागरुकता के अभाव में इस महत्वपूर्ण व्यापार तंत्र से नहीं जुड़ पाई है। विडम्बना यह है कि दुनिया के अनेक देशों के निवेशक भारतीय स्टाॅक मार्केट से हर साल अरबों कमाते हैं जब कि आज भी देश में अधिकांश पढ़े लिखे लोग भी इससे दूरी बनाये रखते हैं। स्टाॅक मार्केट के तीन मुख्य स्तम्भ हैं, स्टाॅक एक्सचेंज, ब्रोकर और इन्वेस्टर। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में देश के दो प्रसि( स्टाॅक एक्सचेंज हैं, ‘बोम्बे स्टाॅक एक्सचेंज’ और ‘नेशनल स्टाॅक एक्सचेंज’। स्टाॅक एक्सचेंज वो संस्था है जिसमें कम्पनियाँ अपने शेयर्स की लिस्टिंग कराती हैं, ताकि कंपनी के शेयर्स यहाँ निवेशिकों द्वारा खरीदें और बेचे जा सकें। निफ्टी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में ;येनएसईद्ध सूचीब( पचास प्रमुख चयनित शेयरों का सूचकांक है, इसी तरह, सेंसेक्स, ‘बाॅम्बे स्टाॅक एक्सचेंज’ ;बीएसईद्ध पर सूचीब( सर्वोच्च तीस चयनित शेयरों का सूचकांक है।
सिक्युरटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आॅफ इंडिया ;सेबीद्ध सभी स्टाॅक एक्सचेंज को रेगुलेट करती है। स्टाॅक एक्सचेंज आर्थिक एवं व्यवसायिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्टाॅक मार्केट से देश में धन का संचार होता है। यहीं से निवेशित पैसा कंपनियों और सरकार तक पहुंचता है और देश को वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन और आपूर्ति करने में सक्षम बनाता है। स्टाॅक एक्सचेंज कंपनियों के शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक प्लेटफोर्म का काम करता है। नेशनल स्टोक एक्सचेंज, वैश्विक वित्तीय प्रवाह और वाणिज्य के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष 10 केंद्रों में से एक है। जहां दुनियां के कोने-कोने से निवेशक विभिन्न कंपनियों की इक्विटी यानि शेयर का व्यापार करते हैं।
इस मार्केट में शेयर खरीदने को लेकर दो शब्दों का प्रयोग होता है- प्राइमरी मार्केट और सेकंड्री मार्केट। प्राइमरी मार्केट के तहत, कंपनी अपना व्यवसायिक कैपिटल बढाने, या कर्ज चुकाने के उद्देश्य से फंड जुटाने के लिए सेबी की अनुमति से ‘इनिशियल पब्लिक आॅफर’ ;आईपीओद्ध के जरिये अपने शेयर्स, वित्तीय संस्थानों और रिटेल निवेशकों को बेचती है। ‘आईपीओ’ के ज्यादातर निवेशक बैंक, फाइनेंसियल संस्थाएं, म्यूच्यूअल फंड्स या विदेशी फर्म होते हैं। कुछ भाग इक्विटी या शेयर के रूप में जनता ;रिटेलद्ध के लिए आॅफर किया जाता है, जिसमें सभी निवेश में रूचि रखने वाले लोग शेयर के लिए आवेदन कर सकते हैं। पहले इसके लिए फाॅर्म भर कर, उसके साथ तय की गयी धन राशि का चेक या ड्राफ्ट जमा करना पड़ता था, मगर अब सीधे अपने डीमैट अकाउंट से आवेदन कर सकते हैं। बैंक से तभी पैसा निकलेगा जब आपको कंपनी से शेयर आबंटित हो जायेगें। बाजार की भाषा में शेयर का अर्थ है ‘कंपनियों में हिस्सा’। कंपनी के शेयर खरीदने वाले को ‘शेयर धारक’ कहते हैं, जो उस कंपनी में आंशिक हिस्सेदार बन जाता है और कंपनी के अहम् फैसलों में अपनी राय देने का हकदार भी होता है। स्टाॅक एक्सचेंज में पंजीकृत कंपनी, नियमानुसार हर तीन महीने एवम् साल के अंत में अपनी ‘बैलेंस सीट’ यानि कि खर्च, व्यय और प्राप्त लाभ का हिसाब शेयर धारकों को देती है। कमाये लाभ के मुताबिक, कंपनी अपने मुनाफे का कुछ अंश ‘डिविडेंट’ यानि लाभांश के रूप में शेयर धारकों में वितरित करती है। सरकारी कंपनियों के शेयर में बड़ा हिस्सा सरकार का होता है जो कि ५१ प्रतिशत से ज्यादा होता है। इसलिए इनको सरकारी कंपनी कहते हैं। प्राइमरी मार्केट में हर कंपनी प्रारंभ में ही शेयर बेचती हैं, अतः जो निवेशक बाद में उस कंपनी का शेयर खरीदना चाहे तो उन्हें उन लोगों से शेयर खरीदना पड़ेगा जिनके पास उस कंपनी का प्राइमरी शेयर होता है। इसे सेकंड्री मार्केट निवेश कहा जाता है। अर्थात सेकंडरी मार्किट में आप शेयर कंपनियों से नहीं बल्कि दूसरे शेयर धारकों से खरीदते या बेचते हैं। स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयर ही खरीदे या बेचे जा सकते हैं। लम्बे समय के लिए शेयर रखने वाले को ‘निवेशक’ और कम समय की अवधि के लिए शेयर रखने वाले को ‘ट्रेडर’ कहते हैं। इस पूँजी बाजार में आने से पहले इससे सम्बंधित पूरी जानकारी के साथ साथ खुद को भली भांति ट्रेन करना भी जरुरी होता है। जिससे सही फैसले लिए जा सकें। स्टाॅक एक्सचेंज से निवेशक शेयर्स की सीधे खरीद नहीं कर सकते। इसके लिए स्टाॅक एक्सचेंज में पंजीकृत ब्रोकर होते हैं जिनके माध्यम से ही शेयर का लेन-देन संभव होता है। ब्रोकरेज फर्म, क्लाइंट के लिए शेयर खरीदने या बेचने का काम करते हैं और इस प्रक्रिया के लिए वे क्लाइंट से कमिशन लेते हैं। अब, अधिकांश सरकारी एवं गैर सरकारी बैंक भी ब्रोकरेज फर्म का काम करते हैं। इसके लिए बैंक में ‘थ्री इन वन अकाउंट ’ यानि बचत खता, डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोला जाता है। जैसा विदित है कि बचत खाते में धनराशि जमा रहती है जबकि डीमैट अकाउंट में इलेक्ट्राॅनिक रूप में शेयर्स जमा होते है। ट्रेडिंग अकाउंट से सीधे हम इच्छानुसार अपने पसंद के शेयर सही समय पर खरीद-बेच सकते हैं। जब हम आॅनलाइन कोई शेयर खरीदते हैं तो पैसा बचत खाते से जाता है और खरीदा हुआ शेयर हमारे डीमैट अकाउंट में आ जाता है। ठीक इसके विपरीत, जब हम अपने डीमैट अकाउंट में उपलब्ध शेयर को बेचते हैं तो पैसा स्वतः ही हमारे बचत खाते में जमा हो जाता है। लाभ अथवा हानि का सीधा सम्बन्ध शेयर खरीदने और बेचने के भाव पर आधारित है। अधिक लाभ के लिए बाजार पर पैनी नजर रखनी होती है। ज्यादा जानकारी एवं सही निर्णय लेने की क्षमता को इस बाजार में ज्यादा लाभ कमाने की कुंजी माना जाता है। आज आॅनलाइन ट्रेडिंग माध्यम से दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठ कर आप अपने पसंद के शेयर खरीद-बेच सकते हैं। सन २000 में सेबी ने इंटरनेट ट्रेडिंग को मंजूरी दी थी। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले ये बात साफ तौर पर समझ में आ जानी चाहिए कि निवेश के लिए कौन-कौन सी कम्पनियाँ सही हैं। उनके बारे में कुछ जरुरी जानकारियां लेना अति आवश्यक है, जैसे कंपनी का मार्केट कैपिटल कितना है, लार्ज कैप है या स्माल कैप, प्रत्येक शेयर के पीछे कमाई कितनी है, सालाना डिविडेंट कितना है, कम्पनी पर कर्ज कितना है, इत्यादि जानकारियां लेने से ये सुनिश्चित हो जाता है की हमारा पैसा कंपनी की ग्रोथ के साथ- साथ बढता रहेगा।
‘बुल और बेयर’ शब्दों का प्रयोग शेयर बाजार में काफी होता है। कोई शेयर खरीदता है और कोई बेचता है, दोनों का उद्देश्य मुनाफा कमाना होता है। जब मार्केट में खरीददार ज्यादा होते हैं तो शेयर के भाव लगातार बढ़ते रहते हैं। इसे बुल मार्केट कहते हैं। इसके बिपरीत जब बिकवाली से बाजार पर दबाव पड़ता है और मार्केट में गिरावट बढ़ जाती है तो इस बाजार को बेयर मार्केट कहते हैं। स्टाॅक मार्केट में भी तेजी या मंदी का रुख मांग और पूर्ति के सि(ांत पर ही आधारित होता है। खरीदारों को बाजार में बुल्स कहा जाता है क्योंकि बुल सींगों से अपने शिकार को ऊपर की तरफ उछालता है, तथा बेचने वालों को बेयर कहा जाता है क्योंकि भालू शिकार को पंजों के नीचे दबाता है। इन जानवरों के स्वभाव के आधार पर ये नाम रखे है। कैपिटल मार्केट हर किसी को अपनी श्रेष्ठता सि( करने की खुली चुनौती देता है क्यूंकि इस बाजार मे निवेशक के वित्तीय ज्ञान की असली परख होती है। यहाँ अवसर तो हैं परन्तु चुनौतयां भी कम नहीं हैं। बिना तैराकी सीखे गहरे पानी में उतरना कितना जोखिम भरा होता है हम सभी जानते हैं। परन्तु हम डर से जल में ही न जाये यह कहाँ तक उचित है। जरूरत है एक तैराक बनने के अभ्यास की। शुरू में, कम लागत से बाजार में प्रवेश करना उचित है क्यांेकि इसमें जोखिम कम और सीखने के मौके ज्यादा मिलते हैं। अगले लेख में स्टाॅक मार्केट से जुड़ी तकनीकी बारीकियों एवं गणनात्मक विश्लेषण से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत होंगे।
स्टॉक मार्किट: आधुनिक कुबेर का खज़ाना