अक्षय तृतीया के बहाने

आज 25 अप्रैल 2020(बैशाख शुक्ल)अक्षय तृतीया है। भारत में विवाह का सबसे पवित्र और बड़ा मुहूर्त लाखों युगल आज के दिन परिणय बन्धन मैं बंधने के लिए प्रतिक्षारत थे, नियती ने कुछ और तय किया होगा। मंगल गीतों और वैदिक मंत्रों की गूजों के स्थान पर सुनसान पंडाल और आंगन में अभूतपूर्व सन्नाटा है। कुछ महिनों पहले तक दुनिया भर की सरकारों वैज्ञानिकों, विश्लेषकों, पर्यावरणविदों और जन साधारण के विमर्श में ओजोन परत के क्षय होने के परिणामों, दक्षिण ध्रुव में अन्ट्राटिका की बर्फ के तेजी से पिघलने,धरती का तापमान बढने, समुद्र का कई टापुओं को अपने मैं समा लेने, कार्बनडाईआक्साइड का खतरनाक स्तर तक बढ़ जाने,नदियों के, कृषि भूमि के,पेय जल के,डेयरी उत्पादों के विषैले होते जाने, वाहनों के भंयकर जाम से, जंगलों की आग से, इलैक्ट्रानिक, वैज्ञानिक, चिकित्सा और दूरसंचार उपकरणों के जानलेवा विकिरण से मनुष्य के खराब होते स्वास्थ्य और पक्षियों की प्रजातियां के विलुप्त होने कभी वनों की अनियन्त्रित आग कहीं अति वृष्टि कभी हिमयुग के लौटने की आहट अति हिमपात और कभी सूखे का संकट और इससे इतर आईसिस, बोकोहरम, तालिबान, अलकायदा, मुजाहिदीन, मुस्लिम ब्रदरहुड, नक्सलियों द्वारा आतंकवाद का भीषण संकट नशे और हथियारों की होड़, आर्थिक और औद्योगिक मन्दी की चुनौती में अपनी विकास दर को 6.8 ले जाने का सकंल्प। एक दूसरे को चुनौती देते आकर्षक ग्लैमर की अंधी दौड़ में विकासशील देशों का अमेरिका और यूरोप की तर्ज पर बड़े विशाल माॅल, मल्टीप्लेक्स, क्लब, होटल, रेस्तरां का जाल खेती, गांव, भाषा, परम्परा, संस्कृति और संस्कारों को दकियानूसी कहने वाली मोबाइल कार्निवाल परिवार मित्रों रिश्तों से दूर होती युवा पीढ़ी दुनिया भर की सीमाओं को पार कर उन्माद में थी ही कि एक अनजान अदृश्य और बेहद मारक खतरनाक वाइरस नाॅवल कोरोना ने दुनिया भर को थर्रा कर रख दिया। रेल, जहाज, परिवहन, पर्यटन, औद्योगिक ईकाइयों के दिन रात धड़धड़ाते पहिये एकाएक थम गये। बाजार, सड़क, माॅल, होटल, क्लब, गली, नुक्कड़, चौराहे, प्रवचन, सत्संग, प्रार्थना, शादीयां समारोह, सभागार, संसद सब में सन्नाटा पसर गया।खेल के मैदान, पार्क, विद्यालय पतझड़ के पत्ते की सरसराहट मैं आबाद होने का भ्रम पाल कर चुप हैं दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष किंकर्तव्यविमूढ़ हैं सबसे विकसित, धनी, शक्तिशाली, विज्ञान चिकित्सा के शीर्ष पर बैठे हुए देश लाखों मौत हो जाने पर भी अनिश्चितता मैं है। आप स्वाभाविक रूप से महसूस कर सकते हैं कि वो दुनिया भर का पर्यावरण वो नदियों वो ग्लेशियर वो गाँव वो पशु पक्षी वो वन क्षेत्र आज पल्लवित हो रहे हैं मनुष्य की अनुपस्थिति ने उन्हें जीवन दान दे दिया है। वो परिवार का इकठ्ठा होना घर की साफ सफाई रसोई स्वयं और मिलजुल कर करना बिना शराब पब बार रेस्तरां के जी रहे हैं। संचार माध्यमों 4G 3G सैटेलाइट के कारण हम जल्द ही सरकारी आदेशों, सूचनाओं, खतरों और सावधानी से परिचित हो जाते हैं। भारत के प्रधानमंत्री लाकडाउन घोषित ना करते तो हो सकता हम वित्तीय संकट से बच सकते थे। लेकिन जनप्रिय नायक के लिए अपने राष्ट्र की सम्प्रभुता और नागरिकों के जीवन का रक्षण और स्वास्थ्य सर्वोच्च होता है। 1918-1920 मैं स्पैनिश फ्लू महामारी से दुनिया मे 2 करोड़ लोगों के मरने का अनुमान है। जाहिर है उस समय सावधानी और सतर्कता के लिए जानकारियां के साथ संसाधन नहीं थे। आज हो सकता है कि दुनिया सहित भारत में यह खतरा बड़ा हो लेकिन उससे बहुत कम जानलेवा। हां तब ऐसा अभूतपूर्व लाकडाउन नहीं हुआ होगा। भंयकर आर्थिक मंदी सकल घरेलू उत्पाद बेरोजगारी मुद्रा अवमूल्यन का नया संकट खड़ा होना तय है। आज भारत में आर्थिक आपातकाल को लेकर आशंका अनुमान और अफवाह तैर रहे हैं धारा 360 की व्याख्या के लेख लिखे जा रहे हैं। सासंद विधायकों के वेतन कटौती और सांसद विकास निधि कर्मचारियों का महंगाई भत्ता की बन्दी सहित शायद कुछ और निर्णय हों। इससे अधिक विचारणीय प्रश्न यह है कि आने वाले समय में क्या होने वाला है।? तकनीकी विकास की गति मंद होगी ही, 5G,6G की गति भारत में ठहर सकती है। क्रय शक्ति निश्चित ही कुछ वर्षों तक कम हो जाने के कारण आटोमोबाइल, मोबाइल,होटल,पर्यटन रियल स्टेट आभूषण,ब्रांडेड उत्पादों,माॉल,हवाई यात्रा, इत्यादि मध्यम वर्ग की पहुँच से दूर हो जायेगें।गरीबी की रेखा अधिक लोगों को अपनी सीमा में ले लेगी।पैट्रोल की खपत घटने और आय के स्रोत के संकुचन का असर बैंकिंग सैक्टर के विस्तार को ठहराव दे सकता है। मजदूरी सस्ती होने व सामाजिक सुरक्षा का आवरण नियन्त्रित रखने के तन्त्र का असर आय की विषमता पर दिख सकता है सरकारी स्कूलों हस्पतालों और संस्थानों की मांग और विश्वशनियता बढेंगी। युवाओं का विदेश जाकर शिक्षा और रोजगार का अवसर और आकर्षण मन्द पड़ना तय है।भारतीय अभिवादन और जीवन पद्धति भारतीय योग की और आयुर्वेद की तरह सर्व स्वीकार्य हो ही गई है। विश्व बैंक,संयुक्त राष्ट्र संघ, जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का प्रभाव भारतोन्मुखी हो जायेगा। विचारवान कर्मठ और ईमानदार शासन की सूझ बूझ से लघु उद्योगों उद्धमशीलता वित्तीय विशेषज्ञता से भारत सबसे तेज अपनी गति को पकड़ने वाला देश होगा। इसी व्यापक बंदी के काल में आप परिवार में कुटुम्ब के साथ हैं, अभाव भी हो तो आनंद से जीना enjoying the crisis का जीवन प्रेरक प्रसंग बन सकता है। हम एक दूसरे से दूर रहकर अपने चेहरे को ढककर मिलें क्योंकि हर प्रगति के बाद भी हम जीवन को अमर नहीं बना सकते नदियां पोखर झरने ग्लेशियर जंगल पशु पक्षियों को अवसर मिला है कि वो निर्मल स्वछंद पवित्र और दीर्घजीवी हो रही हैं पंछियों का कलरव आजकल आनंद दायक है और नदियों की स्वच्छता उत्कर्ष । उसे पृथ्वी बचाव के राजनीतिक कानून आड ईवन फार्मूला का इंतजार नहीं करना। हम सेवा भाव रखते हैं। दानवीर हैं। हममें गीत, संगीत, पाककला, पेन्टिंग और हास्य व्यंग्य इत्यादि की विधाएं हैं यह इसी काल खण्ड मैं पता लगा! हम बदलते समय की और भारत के भविष्य को सम्पन्न और श्रेष्ठतम बनाने के कारक और साक्षी बनेंगे ।

गजेन्द्र खंण्डूड़ी।