कलम का मन


मौत हथेली पर रखकर जो
जीवन का करते हैं प्रतिकार
ऐसे वीर शहीदों को
नमन है मेरा सौ सौ बार


खुद के घर का दीप बुझाकर
दीप वतन का जलने देते
अपनी सांस गंवाकर लेकिन
सांस वतन की चलने देते
जिनके बलिदानों से रोशन
हुआ जगत का अंधकार
ऐसे वीर शहीदों को
नमन है मेरा सौ सौ बार......


सीने पर गोली खाने को
नहीं जरा भी कतराते 
पुष्प बनाकर जीवन को
मां के चरणों पर चढ़ जाते
जीवन को जो गौण मानकर
भारत मां पर देते वार
ऐसे वीर शहीदों को
नमन है मेरा सौ सौ बार......


जीवन जीने के सपनों को
लिबास मौत का पहनाते हैं
सुविधा और उपभोगों को
अरमानों संग दफ़नाते हैं
कुर्बानी को जीवन का जो
मुख्य बना देते आधार
ऐसे वीर शहीदों को
नमन है मेरा सौ सौ बार...


अपने जीवन में देते हैं
भारत मां को उच्च स्थान
मातृभूमि का कर्ज चुकाने
कर देते सर्वस्व बलिदान
जिनकी मृत्यु पर हैं करते
स्वर्ग से देवता भी जयकार
ऐसे वीर शहीदों को
नमन है मेरा सौ सौ बार...