आत्मनिर्भरता है मूलमंत्र

कोरोना वायरस से जारी लॉकडाउन से पस्त आम जनता और त्रस्त उद्योग जगत को कोरोना महामारी फैलने के बाद आत्‍मनिर्भर बनाने के साथ साथ कोरोना संकट से भी निपटने के लिए बड़ी आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है।आने वाले वर्षों में न केवल देश के आर्थिक ढांचे को बदलने वाला होगा बल्कि अर्थतंत्र का भारत में व्यापक कूटनीतिक असर भी देखने को मिलेगा। 

हम पिछले लम्बे समय से सुनते आ रहे हैं,कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है लेकिन कोविड-19 ने हमें वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका दिया है। कोरोना से पहले और बाद के कालखंडों को भारत के नजरिए से देखें तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की होगी... यह हमारा सपना नहीं, हम सभी की जिम्मेदारी भी है। इसका रास्‍ता एक ही है- आत्मनिर्भर भारत... 

इस आपदा ने भारत को आगे बढ़ने का एक मौका दिया है। देश की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की हमेशा से ही चिंता होती है। 

चीन से सशंकित वैश्विक समुदाय के सामने भारत को एक मजबूत औद्योगिक निर्माण स्थल के विकल्प के तौर पर पेश करते हुए 21वीं सदी में भारत अपनी बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है।  भारत की प्रगति में हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों और कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता है। कोविड-19 से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवा नई आशा की किरण जगाती हैं। भारत के इन प्रयासों से दुनिया भर में तारीफ होती है, और भारतीय गर्व करता है। दुनिया को अब यकीन होने लगा है कि मानव जाति के कल्‍याण के लिए भारत बहुत अच्छा कर सकता है। 

 सदियों से भारत का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब सोने की चिड़िया कहलाता था सदियों पूर्व से ही भारत विश्‍व के कल्याण की बात की। भारतीय विशेषज्ञों ने दुनिया को उबारा था। आज भारत के पास साधन,सामर्थ्य और बेहतरीन टैलेंट है।  उत्‍पाद और गुणवत्‍ता की बेहतरी के साथ आपूर्ति चेन आधुनिक बनाना होगा। 

आज इन विपरीत परिस्थितियों में देश ने गरीबों  की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का साक्षात दर्शन किया है। आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना होगा, सिर्फ लोकल प्रोडक्‍ट खरीदने ही नहीं बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना होगा। 

 वर्तमान समय में जो ग्‍लोबल ब्रांड्स थे वे कभी लोकल ही थे। ले जब इनका इस्तेमाल, प्रचार और ब्रांडिंग की गई तो वे लोकल से ग्‍लोबल हो गए। उन्‍होंने कहा, आत्मनिर्भरता हमें सुख व संतोष देने के साथ ही सशक्त भी करती है। आत्मनिर्भर भारत का नया युग हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण और नूतन पर्व भी है। कोविड-19 के बाद स्थानीय उद्योग व मैन्यूफैक्चरिंग को बड़ा महत्व देने की बात हो रही है।  अमेरिका, जापान और भारत सहित तीनों देश अभी तक चीन पर कई तरह से आश्रित रहे हैं। आíथक सुधारों के इस क्रांतिकारी दौर की शुरुआत के साथ रिफा‌र्म्स खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई कतार में होंगे ताकि किसान भी सशक्त हो व कोरोना जैसे संकट में अर्थतंत्र को भी मजबूत किया सके।