"देश गांव गर कुशल चाहिए,इतना तुम्हें समझना होगा,
बाहर से घर आने वालों, तुम्हें क्वारेंटाइन होना होगा !!
घूम रहे हो गांव गली में, क्यों खतरे को बढ़ा रहे हो,
क्रिकेट,ताश फिर कभी खेलना, क्यों जीवन को गँवा रहे हो,
अपनी और परिवार की खातिर, कुछ दिन अलग ठहरना होगा,
बाहर से घर आने वालों, तुम्हें क्वारेंटाइन होना होगा !
अपने गांव गली आये हो, लोग गांव के सभी तुम्हारे,
सभी खेत खलिहान तेरे है,पनघट,और बज़ार तुम्हारे,
अपनी पुश्तैनी यादों को, तुमको स्वयं सहेजना होगा,
बाहर से घर आने वालों, तुम्हें क्वारेंटाइन होना होगा !!
राजी खुशी सभी होंगे तो, मौज बहारें फिर आएँगी,
सब आपस में गले मिलेंगे, रौनक एक दिन फिर लौटेगी,
'नरेश का कहना ना माना तो, फिर एक दिन पछताना होगा,
बाहर से घर आने वालों, तुम्हें क्वारेंटाइन होना होगा !!"
स. अ. (सहायक नोडल अधिकारी),
जूनियर हाई स्कूल -घण्डियाली,
वि. क्षे ---थलीसैंण, पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड !!