"मौसम का रुख बदल रहा है"

भौंह   हुई   टेढ़ी  सृष्टा  की,

            मानव  का  युग बदल रहा है, 

शीत, ताप,वर्षा ऋतु बदली, 

           मौसम का रुख बदल रहा है !

 

छोड़ सभ्यता भारत वाली, 

           रुख पश्चिम की ओर किया तो, 

खानपान की सूरत  बदली,

            रहन-सहन  भी  बदल रहा है !

 

वस्त्र बदन  से लुप्त हो  रहे,  

                     नंगे पन  में  शान हमारी, 

 रोग निरोधक शक्ति कम हुई, 

                 ह्यूमन का तन बदल रहा है !

 

देख  तेरे  पाश्चात्य  प्रेम  को, 

                 हुए   रोग  भी  तुझे  विदेशी, 

अन्य बात की जिक्र करें क्या,

              दिल भी धड़कन बदल रहा है !

 

दुनिया   में  आतंकवाद  को

              निरख, आंख  रोती धरती की, 

 नरेश'  तू  भी  अश्रु  बहा  ले,  

              तेरा   गुलशन  बदल  रहा है !!

 

मौसम का रुख बदल रहा है, 

            मौसम का रुख बदल रहा है !!