"नारी"

"फेंक मत कूड़े में मुझको, माँ सृजनकारा हूँ मैं,

सृष्टि  है  गर  मंच तो, उसकी अदाकारा हूँ  मैं !!

 

मैं हूं वह उर्वर धरा, जो  जन्मती  है जीव  को

मत समझ मुझको कि वेबस और नाकारा हूँ मैं !!

 

मैं पराकाष्ठा प्रलय की,  भृकुटि  गर टेढ़ी  हुई, 

मैं  हूँ लक्ष्मी,मैं ही काली,'अम्ब अवतारा' हूँ मैं !!

 

हूँ बहिन,भार्या हूँ मैं, तनया भी कहलाती हूँ मैं,

माँ  भी  हूँ  संसार की ,और सृष्टि उद्धारा हूँ मैं !!

 

यूँ पतित अपनी  नज़र से, देखने  वालों  मुझे,

होश  आओ  काट दूंगी,  तीव्रतर आरा हूँ  मैं !!

 

हूँ मैं ममता की भी मूरत,शीतला, मधुपूर्ण  हूँ,

आन पर गर आ पड़ी तो,ज्वलितअंगारा हूँ मैं !!