चीन के बढ़ते क़दम... हमारी भूमिका
 


लगभग दो सौ साल अंग्रेज़ों के ग़ुलाम बने रहे हम,इतनी त्रासदी झेलने के बाद भी नहीं सीख ले पाए ,कितने नौ जवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी... कितनी माताओं की गोद सूनी हुई ..कितना कुछ खोया ...लेकिन फिर भी हमें अक़्ल नहीं आ पाई। अंग्रेज़ो ने भी इसी तरह व्यापार करने के बहाने ही सोने की चिड़िया को लहूलुहान किया था...उस रोंगटे खड़े कर देने वाले वीभत्स घटना चक्र को तो कम से कम याद करें हम!

हमें प्रेरणा लेनी चाहिए जापान जैसे देश से जिसका हर एक नागरिक अपने देश के प्रति तहे दिल से समर्पित है।तभी तो सन 1945 में संयुक्तराज्य अमेरिका के परमाणु बम गिराने के बाद से आज लगभग पचहत्तर साल बाद भी अमेरिका अपना कोई भी सामान जापान को न बेच सका क्योंकि कोई भी जापानी नागरिक अमेरिका में बने सामान को ख़रीदना तो दूर देखना भी पसन्द नहीं करता।दूसरी ओर हम स्वयं पर गौर करें, हमारे घरों में अधिकतर सामान चीन का बनाया हुआ है।आज चीन को इतने आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करने में हम भारतवासियों का सबसे बड़ा हाथ है। हम अक्सर दलील देते हैं कि चीन का बना हुआ सामान कम दर पर हमें उपलब्ध हो रहा है तो हम स्वदेशी के नाम पर महँगा सामान क्यों खरीदें? शायद हम बीते हुए कड़वे इतिहास को भूल चुके हैं और फिर से उसी राह पर चलकर वही अनुभव करना चाहते हैं... जब चीन द्वारा निर्मित सस्ते सामान की कई गुणा क़ीमत अपने देश की अमूल्य निधि गवाँ कर चुकानी पड़ेगी।

हम अच्छी तरह जानते हैं कि चीन के इरादे कभी भी सौहार्दपूर्ण नहीं रहे हैं। बावज़ूद इसके हम सम्भलने के बदले स्वयं दलदल में धँसने का रास्ता बना रहे हैं।चीन का ढाई से तीन साल का बच्चा भी नई नई टेक्नोलॉजी का निर्माण करने में जुटा हुआ है जबकि हमारे बच्चे दिमाग होते हुए भी उसका दही इस्तेमाल न करके चीन द्वारा निर्मित सस्ते इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल केवल मनोरंजन या ग़लत संगतियों में पड़कर अपना क़ीमती समय भविष्य को अंधकारमय बनाने में जुटे हुए हैं।कितना अच्छा हो यदि हमारे बच्चे स्वयं की टेक्नोलॉजी तैयार करने में अपना मूल्यवान समय लगाएँ।स्वयम भी ख़ुशहाल बनें और देश को तरक्की की राह पर ले जाएँ।

अभी भी समय है हम दुश्मन को स्वयं पर हावी न होने दें। हमसब मिलकर संकल्प लें कि यदि हमें चीन का सामान बिना मूल्य चुकाए भी मिल रहा हो तब भी हम उसे नकार दें।हमारे कुम्हार कितनी मेहनत से मिट्टी के दीए बनाते हैं और हम उन्हें दरकिनार कर चीनी लड़ियों से अपना घर जगमगाते हैं।क्या हम अपनों का घर अंधेरा कर दुश्मनों का हौसला नहीं बढ़ाते!अपने स्वदेशी स्वादिष्ट -स्वास्थ्यवर्धक व्यजंनों को तिलांजलि दे चटखारे लेकर हानिकारक चीनी व्यंजनों को खाकर स्वयं के लिए मोटापा और कई तरह की बीमारियों को निमंत्रण नहीं दे रहे हैं!