जाने कहाँ गए वो दिन (३ )
जब डी एस रावत(उर्फ डण्डा सिंह रावत)ने  अद्भुत तेवर दिखाए


 

उन दिनों सारे देश की निगाह अपने गढ़वाल पर लगी हुयी थी।उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व लोक सभा से सांसद हेमवती नंदन बहुगुणा जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदरा गांधी से सैद्धांतिक व राजनैतिक मतभेद के चलते कांग्रेस सचिव व लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र देकर राजनैतिक भूचाल उत्पन्न कर दिया था।जैसे ही चुनाव आयोग ने गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव घोषित  किया।राजनैतिक रणक्षेत्र में दुदुम्भी बज गयी।इंदरागांधी ने गढ़वाल के लोकप्रिय कांग्रेसी नेता पूर्व खाद्य मंत्री जगमोहन सिंह नेगी जी के सुपुत्र चंद्र मोहन सिंह‌ नेगी को बहुगुणा के खिलाफ मैदान में उतारकर तुरुप का पत्ता चल दिया। जगमोहन सिंह नेगी  जी ने पौड़ी जनपद के ढांगू,उदयपुर पट्टी,अजमेर पट्टी,लंगूर पट्टी ,कोटद्वार,दुगड्डा,लैन्स डाउन क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय छवि  अर्जित कर रखी थी।वस्तुत:चंद्रमोहन सिंह नेगी का तो अभी राजनीति में उदय ही हो रहा था।लेकिन इंदिरा जी का सिर पे आशीवार्द व पिता जी की लोकप्रियता के  मिश्रित प्रभाव से वे बहुगुणा जी के समकक्ष खड़े होने का साहस कर रहे थे।अलावा इसके इंदिरा जी के आदेश पर सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने गढ़वाल में डेरा डाल दिया था। इसके साथ ही कांग्रेस के दबंग क्षत्रपों,बाहुबली नेताओं,सांसदों,विधायाकों आदि की जम्बू टीम बहुगुणा जी के खिलाफ ताल ठोंक कर भीषण चुनावी प्रचार में जुट गयी।उस समय बहुगुणा जी की देश व खासकर यू पी में तूती बोलती थी।यही कारण था कि उनके समर्थन में उ प्र के लटूरी सिंह,राम निहोर राकेश,गढ़वाल के भरत सिंह रावत,त्रेपन सिंह,नरेंद्र सिंह,दानू जी,प्रताप सिंह,आदि ने चुनावी कमान संभाल ली।एक तरफ कदा्वर इंदरा गांधी,ताकतवर सत्ता पक्ष, शक्ति,धन दौलत का खेमा व दूसरी ओर बहुगुणा की लोकप्रियता की जमा पूंजी।बी बी सी,रेडियो रिपोर्टर,पत्रकार व मीडिया सांस थामें स्थिति पर नजर गड़ाए थे।

     इस बीच गढ़वाल विश्वविद्यालय ने परीक्षा तिथि घोषित कर दी।छात्र नेता असमंजस में।परीक्षा चलेंगी तो चुनाव प्रचार के लिए छात्रों की भीड़ कहां व कैसे मिलेगी।आनन फानन बैठक हुयी वी सी से मिलकर जून माह की परीक्षा तिथि स्थगित करवाकर आगे बढ़ाई जाय। परीक्षा टालने के मामले में तो ----------    क्या कांग्रेसी,क्या विपक्षी,क्या साम्यवादी,क्या दक्षिणपंथी ,क्या निर्दलीय सभी विचारधारा वाले छात्र एक साथ  हो गए।मुझे आज भी याद है पहल की सबसे पहले हमारे बी एड वाले साथियों ने।डेढ़ दो सौ छात्रों का समूह नारे लगाते हुए चला वी सी आफिस की ओर।उस समय वी सी आफिस वर्तमान की पक्की बिल्डिंग के बगल में टीन शेड पर हुआ करता था।हवा में जोशीले नारे उछल रहे थे- छात्र एकता जिंदाबाद।जिंदाबाद।जिंदाबाद।चाहें जो मजबूरी हो मांग हमारी पूरी हो।ताना शाही नहीं चलेगी लेगी।नहीं चलेगी लेगी।नहीं लेगी।छात्र एकता जिंदाबाद।जिंदाबाद।जिंदाबाद।तो साब नारे लगाते सब घुस गये वी सी आफिस में।आगे आगे प्रमुख छात्र नेता थे पिछाड़ी हम जैसे डरकू जिज्ञासू।देखें कि छात्र संगठन शक्ति के आगे ये जिद्दी डंडा सिंह झुकता है कि नहीं।घेर लिया वी सी को।क्या बात है ?क्यों हल्ला मचा रखा है डी एस रावत की सख्त आवाज गूंजी।सच्ची में कुछ की तो इस कठोर कर्कश आवाज से ही सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। बड़े सीनिअर छात्र नेताओं की ओट हो लिये कहीं पहचान ना ले।कुछ घाघ किस्म के बोले, सर आपको पता है लोक सभा चुनाव हो रहे हैं।हां,हो रहे हैं रुखी सख्त आवाज आयी।तो! तो, हमारे बी एड एक्जाम पोस्टपोंड कीजिए।क्यों?एक्जाम का चुनाव से क्या लेना देना।सर महत्वपूर्ण चुनाव है,सारे देश की नजर लगी है इस पर।देखो ,अभी कुछ दिन पहले जिला विद्यालय निरीक्षक जी का फोन आया था।जुलायी से नया शैक्षणिक सत्र शुरु होने वाला है।स्कूल में टीचर्स के पद खाली पड़े हैं।इधर आपने बी एड इम्तिहान दिया उधर जुलायी में नौकरी लगी।अब बताओ नौकरी करोगे या नेतागिरी।सर , सड़क बाजार,गली चौराहों में लाऊडस्पीकर से चुनाव प्रचार हो रहा है।मीटिंग हो रही हैं,जुलूस निकल रहे हैं,रैलिया आयोजित हो रही हैं,इस शोर शराबे में स्टूडेंट कैसे पढ़ेगा।डी एस रावत ने डांट पिलाने के लहजे में कहा,सुनो जब मैं एम एस सी मैथ्स से कर रहा था तो दिन रात पढ़ता था।और पढ़ाई इतनी तल्लीनता से करता था कि पढ़ते समय ढोल दामाऊ कुछ भी बजे मुझे कतई फर्क नहीं पढ़ता था।आप जाइए जाकर पढ़ाई कीजिए।परीक्षा स्थगित नहीं होगी।वैसे भी पिछले साल शेसन जीरो करना पड़ा था।मैं एक और सत्र बरबाद नहीं कर सकता।जिनके ऊपर राजनैतिक आकाओं का वरद हस्त था वे अड़ियल छात्र नेता बोले,हम सब परीक्षा का वाकआउट करेंगे।कई एक साथ आवाज आयीं परीक्षा का बहिष्कार होगा,परीक्षा का बहिष्कार होगा,परीक्षा का बहिष्कार होगा।परीक्षा का बहिष्कार तो जब होगा तब होगा पहले मैं तुम्हारा यहां से बहिष्कार करता हूं।फिर अपने पी ए की ओर मुखातिब होकर ऊंची आवाज लगायी।मिलाना जरा इंस्पेक्टर पुण्डीर को फोन।पुण्डीर इंस्पेक्टर का नाम सुनते ही कुछ इधरसे कुछ उधर से धीरे धीरे खिसकने लगे।उन दिनों श्रीनगर में इंस्पेक्टर पुण्डीर का खौफ छाया हुआ था।बहुत तुड़ैय्या करता था।डी के भी(डांग,कमलेश्वर भक्तियाना)के  नामी गिरामी बदमाश भूमिगत हो गए थे इंस्पेक्टर पुण्डीर के डर से।तो हमारे प्रदर्शनकारी छात्र समूह जिसमें अधिकांश विद्यार्थी ही थे कुछ हास्टल की ओर भाग लिए,कुछ पास पड़ौस के किसी परिचित के यंहा।

पर घाघ नेता  यूं ही हथियार डालने वाले ना थे।उसी दिन शाम को जी एण्ड टी आई ग्राउण्ड में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की चंद्रमोहन सिंह‌ नेगी के समर्थन में विशाल जन सभा आयोजित हुयी।सभा के बाद वी पी सिंह कुछ देर विश्राम के लिए जलनिगम के रेस्ट हाउस रुके।कांग्रेस के घाघ छात्र नेता पहुंच गए दरबार।सर हम यूनिवर्सिटी के कांग्रेसी स्टूडेंट्स चुनाव में युवा शक्ति झोंक सकते हैं परंतु ! परंतु क्या ?चीफ मिनिस्टर साहब ने पूछा।ये अड़ियल वी सी कुछ दिन के लिए एक्जाम पोस्टपोन करने के लिए नहीं मान रहा।अच्छा ,सी एम ने पी ए को आर्डर दिया।फोन लगाओ उसे कहो सी एम ने बुलाया है तत्काल।जल्दी हाजिर हों हमें आगे भी चुनावी सभा संबोधित करने जाना है।थोड़ी ही देर में बाहर वी सी की एम्बेस्डर आकर रुकी।

 जो वहां उपस्थित छात्र नेता थे उनमें से एक ने बाद में बताया।और  थोड़ी ही देर में यह खबर पूरे श्रीनगर में जंगल की आग की तरह फैल गयी-गेस्ट हाउस में यू पी के चीफ मिनिस्टर वी पी सिंह व गढ़वाल विश्व विद्यालय के वी सी, डी एस रावत उर्फ डण्डा सिंह का वार्तालाप- 

सी एम- कांग्रेस पार्टी खासकर प्रधान मंत्री श्रीमती इंदरा गांधी के लिये यह बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है।आप  चुनाव संपन्न होने तक कुछ समय के लिये विश्वविद्यालय की परीक्षा स्थगित कर दीजिए।

वी सी-सर स्कीम आउट हो गयी है,पेपर छप गए हैं।वैसे भी पिछला सेशन जीरो हो गया था।

सी एम-मै  स्टेट का सी एम बोल रहा हूं,मेरा मौखिक कथन  राज्य कर्मचारियों /सेवकों के लिए आदेश होता है।

वी सी-सारी सर, मैं वाइस चांसलर हूं मैं चांसलर(राज्यपाल )के आदेशों के अधीन हूं। 

सी एम-मैं आपको एक मिनट में कुर्सी से हटा सकता हूं।

वी सी-सर मैंने रेजिगनेशन टाइप करवाकर रखा हुआ है।

सी एम-एक्जाम पोस्टपोंट होंगे या नहीं।

वी सी-सारी सर।

सी एम-गुस्से से।चुनाव निपटते ही मैं तुम्हें जरूर देखूंगा।नाऊ यू मे गो आउट

वी सी-थैंक्यू सर।इट्स माई प्लेजर।

कहने की जरूरत नहीं कि इस वार्तालाप ने वी सी  डी एस रावत को असली हीरो बना दिया।


यह थे डण्डा सिंह वी सी साहब के तेवर

नीरज नैथानी