नए भारत के अनुरूप हो नई नौकरशाही

 

आज सही मायने में देश और समाज का भला तभी होगा जब भारत के उद्देश्य और लक्ष्य के अनुरूप नौकरशाही संगठित और व्यवस्थित होगी।.....आज भारत वर्ष में नौकरशाही को लेकर दो बातें  बहस के केंद्र में है। पहला प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार और दूसरा जन समस्याओं का सही समय पर क्रियान्वयन न होना। भ्रष्टाचार की समस्या अवसरवादी परिस्थितिजन्य होने के कारण इसकी तात्कालिक दवा नहीं बन सकती। इन समस्याओं के निदान की दिशा में अनेकों  प्रयोगात्मक पहल हुई हैं, जिनका लाभ भी मिला है। पिछले कुछ वर्षो से नौकरशाही के बीच सुशासन के लिए केंद्र सरकार तथा कुछ राज्य सरकारों ने इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम भी किए हैं।

 केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा देश के सभी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों में साझा क्षमता और संसाधन युक्त बनाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत कर सिविल सेवा सुधार को मंजूरी मिली है। मूलत: यह कार्यक्रम प्रशिक्षण मानकों में सामंजस्य स्थापित करेगा। 

इससे विशेष रूप से सिविल सेवकों को लाभ मिलेगा। मिशन कर्मयोगी का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए भारतीय सिविल सेवकों को तैयार करना है,ताकि वे और अधिक रचनात्मक, अभिनववादी, पेशेवर दक्षता, प्रगतिशीलता,रचनात्मकता, पारदर्शिता,सक्रियता व प्रौद्योगिकीय रूप से दक्ष होकर लोक सेवा की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें। यह नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है कि एक सिविल सेवक को भविष्य में कैसा होना चाहिए। इस कार्यक्रम के माध्यम से विशिष्ट भूमिका और दक्षता से युक्त सिविल सेवक को उच्चतम गुणवत्ता मानकों वाले बेहतर सेवक के रूप में स्थापित करना है। इस कार्यक्रम को एक एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म की स्थापना करके क्रियान्वित किया जाना है, जिससे संपूर्ण देश की नौकरशाही की एकसमान दक्षता स्थापित की जा सके।

आज बदलते लोकतांत्रिक परिवेश और बदलती राजनीतिक सहभागिता ने नौकरशाही और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी बहुत सी जिम्मेदारियां पैदा की हैं। भारत में प्रशासन का अर्थ ब्रिटिशकालीन प्रशासन के अर्थ के रूप में नहीं लिया जा सकता। आज की भारतीय सामाजिक, राजनीतिक और आíथक संरचना लोकतांत्रिक सहभागिता के संदर्भ में हो गई है। इसे किसी भी तरह से प्रशासन का नाम देना गलत होगा। अब तो इसे सहभागी प्रशासन या सहभागी प्रबंधन का नाम दिया जा रहा है। चूंकि ब्रिटिश काल में प्रशासन का कार्य ब्रिटिश हितों के अनुकूल भारतीय जनता को प्रशासित करना होता था, लेकिन आधुनिक भारतीय लोकतांत्रिक समाज में इसका कार्य प्रशासित करना नहीं हो सकता।

आधुनिक नौकरशाही संरचना का निर्माण प्रशासन को सशक्त तथा आम जन केंद्रित बनाने के उद्देश्य से औपनिवेशिक शासकों द्वारा की गई थी। स्वतंत्रता के बाद भारतीय नौकरशाही कालांतर में अपने मूल स्वरूप को खोती गई। आज हमारे देश की नौकरशाही संरचना विश्व में सबसे बड़ी है। किंतु आज भी यह एक गंभीर प्रश्न है कि देश को एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और कुशल प्रशासक कैसे दिया जाए। सिविल सेवकों को न केवल देश के अंदर, बल्कि देश के बाहर के संबंधों में भी अपनी कुशल भूमिका निभानी होती है।

आज हमारे नौकरशाहों के सामने बदलती वैश्विक व्यवस्था में एक सफल कूटनीति के साथ संबंधों को विस्तार देने की भी चुनौती है। किसी भी देश के बहुपक्षीय और द्विपक्षीय संबंधों का निर्धारक कूटनीतिक क्षमता है। वैश्विक आíथक महाशक्ति और वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में बढ़ते भारत के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में एक कुशल नौकरशाह से उन योग्यताओं की अपेक्षा बनी रहती है,जो भारतीय हितों के अनुरूप बहुपक्षीय संबंधों को पोषित करने की दिशा में कार्य करे। साथ ही भारतीय आदर्शो और भारतीय हितों को वैश्विक मंचों पर प्रभावी तरीके से रखने के साथ ही नेतृत्व के गुणों का भी प्रदर्शन करे।

 

ब्रिटिश प्रशासनिक व्यवस्था विस्तृत और संगठित तरीके से बनाई गई थी जो उनके उद्देश्यों को पूरा करने की क्षमता रखता था। भारतीय लोगों पर शासन करने के पूर्व उन्होंने पूरी सामाजिक व्यवस्था, संरचना और धाíमक-सामाजिक न्याय पद्धति को समझा। उन्होंने हिंदी, संस्कृत व अन्य स्थानीय भाषाओं के प्राचीन साहित्यों व धर्म ग्रंथों का अनुवाद कराया। नृजाति विवरण और मानव विज्ञान के आंकड़ों के लिए उनकी प्रशासनिक फौज में राजनीतिज्ञों व

अर्थशास्त्रियों के अलावा मानवविज्ञानी, नृजातिशास्त्री व समाजशास्त्री मौजूद थे।जो सभी क्षेत्रों को समान महत्व देते थे।

भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में कमी का ही नतीजा है कि देश में तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद गरीबी, भुखमरी,बेरोजगारी,अशिक्षा, अपराध को खत्म नहीं किया जा सका है। आज देश को अप्रत्यक्ष रूप से चला रहे सिविल सेवकों की चयन प्रक्रिया,प्रशिक्षण,नियोजन की संरचना में मूलभूत सुधार की आवश्यकता है। इस दिशा में केंद्र सरकार की मिशन कर्मयोगी युगांतकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखने वाली होगी।