पंचायती चुनाव और बदलाव

० नए नियमों के आजाने से 1 वर्ष बाद अब क्या स्तिथि हैं पंचायतों की यह ग्रामीण ही नही सरकार भी सोचें।
० क्या भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगा हैं..? ग्रामीणों के सवाल कम हुए हैं या समस्या बढ़ गई हैं...


वर्तमान समय में उत्तराखंड बड़े उथल पुथल से चल रहा हैं। वजह पंचायती चुनाव में हुआ बदलाव हैं 2 बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार नही हो सकते जनप्रतिनिधि होने के लिए 10 वीं पास अनिवार्य है। यह 2 वजह उत्तराखंड के पंचायतों को नया रूप देंने में कामयाब हुई। मगर जातिगत आरक्षण व महिला आरक्षण की वजह से पंचायतों का बेडागर्क हो गया। सर्वे के मुताबित 88% महिला जनप्रतिनिधि रबड़ स्टेम बन के रह गई हैं। पुरुषप्रधान समाज यहां भी कायम हैं। पिछड़ी जाति के उम्मीदवार भी विकास कार्य में फिसड्डी साबित हुए हैं।
वर्तमान पंचायतों में 70% युवा काविज हैं जिन की उम्र 35 वर्ष से कम हैं महिलाओं का प्रतिशत 39% हैं पिछडी जाती के 23% उम्मीदवार पंचायतों की बागड़ोर संभाल चुके हैं। 7969 ग्राम पंचायतों वाले उत्तराखंड में 90% पहाड़ी क्षेत्र हैं जिन का विकास इन जनप्रतिनिधियों पर टिका हैं। ग्रामसभाओं में विकास का रास्ता जनप्रतिनिधि नही सरकारी कमर्चारी बनाते हैं सरकारी कमर्चारियों के द्वारा विकास की सीमा ओर समय तय की जाती हैं यदि जनप्रतिनिधि कम पढ़ालिखा,निर्धन,शराबी हैं तो समझ लीजिए विकास अधिकारी के झोले में गया। यदि आप का जनप्रतिनिधि अधिकारियों के सामने झुक गया तो अगले 5 वर्ष ग्राम विकास अधिकारी के चाबुक से आप के गाँव का विकास दौड़ेगा। यह हो रहा हैं यह सत्य बात हैं। अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों ठेकेदारों को घोटाला करना सिखाया जाता हैं। बकायदा इस में खण्डी विकास अधिकारी क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशिक्षण देते हैं। वर्तमान पंचायत में प्रवासियों का दबदबा अधिक हैं शिक्षा नीति के कारण अनेकों गाँव में उम्मीदवार नही मिले इस लिए प्रवासियों को पंचायती चुनाव में निमंत्रण दिया गया। यह पंचायत वर्ष इस लिए भी खास हैं कि निर्विरोध ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनने का नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। आज अनेकों जनप्रतिनिधियों की मानसिकता यह हो चुकी हैं कि जनप्रतिनिधि बनते ही उन्हें शराब पीने का लाइसेंस मिल जाता हैं। सुबह से शाम तक नशे में धुत्त रहने वाले ग्राम विकास की डौर सभाले हुए हैं। मेरी अपनी सोच हैं हर युवा को राजनीति में आना चाहिए क्यों कि जब तक सही मानसिकता वाले लोग राजनीति में नही आएंगे विकास सम्भव नही। हर ग्राम वासी को विकास कार्य में ह्नस्तक्षेत करना चाहिए। राजनीति इस लिए बुरी हैं क्योंकि भले लोग राजनीति से दूर हैं।आंकलन कीजिये आप के गाँव में विगत वर्ष क्या कार्य हुए हैं यदि किसी कार्य में अनियमितता का अंदेशा हैं तो कार्यवाही की मांग करें निर्माण कार्य की गुणवत्ता सही नही तो कार्य रुकाये। यदि आप मनरेगाकर्मी हैं आप के पास गाँव के सभी कागजात मौजूद हैं और आप निर्माण कार्य में काम करने के इच्छुक हैं तो आप का जनप्रतिनिधि आप को कार्य से वंचित नही रख सकता। यह आप का अधिकार हैं जिस के लिए आप ने जनप्रतिनिधि चुना हैं। आप का जनप्रतिनिधि आप से सौतेला व्यवहार नही कर सकता हैं। इस के लिए आप जिला कलेक्टर से शिकायत कर सकते हैं। सचेत रहे सजग रहे। लोकतांत्रिक राष्ट्र में जनता सब से बड़ी विपक्ष होती हैं। पंचायतों में जनता को सवाल पूछने का पूरा अधिकार हैं सवाल आप लिखित (RTI) व मौखिक पूछ सकते हैं। ग्राम पंचायत का मजबूत विपक्ष बने अपने गाँव को सुधारें।