ज्ञानचंद जी...!


अरे ज्ञानचंद जी, दीवाली आ गई है, बाहर निकलिए ! 
बंधुओ, कुछ वर्ष पहले तक कितना आनन्द आता था, जब हमारे देश के ज्ञानचंद जी होली, दीवाली, करवा चौथ हो या गणपति विसर्जन, गरबा नृत्य, दही हांडी हो या फिर चैन्नई में जलीकुटी हो, ये अपने घिसे-पिटे पिटारे को लेकर सोशल मीडिया में अपना उपदेश उड़ेलना शुरू कर देते थे । हालांकि उससे पहले ये बहुधा शासन पोषित अपने समाचार पत्र-पत्रिकाओं में भी हिंदुओं के तीज त्यौहारों का उपहास उड़ाते हुए बेमतलब के लम्बे-लम्बे ज्ञानोपदेश छपवाते रहते थे । ये अपने को आइंस्टीन का दत्तक पुत्र समझते हुए उन रीति रिवाजों में अवैज्ञानिकता का तड़का भी डालते रहते थे । परंतु उस समय तक कोई इनको गंभीरता से इसलिए नहीं लेता था, क्योंकि इनको पढ़ने वाले अक्सर इनके ही शागिर्द होते थे । अब जिन शागिर्दों पर आपके अहसान हों, वे भला आपके लिखे हुए के कसीदे क्यों नहीं कसते, और आप अपने को परमज्ञानी समझने लगे । लेकिन सोशल मीडिया में आपका अवतरण होते ही आपको आइना में अपना चेहरा दिखने लगा । अब इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने कुकृत्य का चिंतन-मनन करने लगें, आप वह करने हेतु सक्षम भी नहीं हैं । लेकिन यदि आप अभी भी हिंदुओं और राष्ट्रवादियों को सोया हुआ समझते हों तो यह आपकी भयंकर भूल होगी । हालांकि हिंदू और राष्ट्रवादी तत्व अभी पूरी तरह से जागे तो नहीं हैं, परंतु उसने करवट बदलना शुरू कर दिया है। यह उसी के करवट का परिणाम है कि लक्ष्मी बम फिल्म से बम शब्द हटाना पड़ा, फिर भी फिल्म प्लाप हो गई । बिग बास व केबीसी बगले झांंकने लगे हैं। ममता जी को नवदुर्गा तो बलात्कारी को सिलाई मशीन देने वाले मुख्यमंत्री को कोरोना का कहर भूलकर दीपावली का उत्सव मनाने हेतु दिन-रात विज्ञापन देना पड़ रहा है । रामनाम के ज्ञान का सागर उमेडने वाले मुरारी बाबू को शर्मशार होकर माफी मांगनी पड़ी। देख लेना यदि हिंदू चेतना और राष्ट्रवाद थोड़ा और जागृत हो गई तो फिल्मों में फिर से आरती व भजन, बिग बास में श्री भगवत् कथा तथा  केबीसी में हिंदू धर्म ग्रंथों को जलाने का प्रश्न पूछने वाला सदी का महानायक मुगलों के अत्याचार का प्रश्न पूछेगा । इसलिए ज्ञानचंद जी आप अब अपने ज्ञान का चश्मा फिर से पोंछकर बदलते हुए समय को देखिए । इसका एक उदाहरण तलोजा जेल से बाहर निकलते हुए अर्नब गोस्वामी की एक झलक देखने के लिए कोरोना को ठेंगा दिखाते हुए हजारों की संख्या में खड़े देशभक्त या वृंदावन में अर्नब के लिए पच्चीस हजार दीप जलाकर मां यमुना की पूजा करते हुए साधु सन्यासी काफी है । मालूम है अर्नब का ऐसा स्वागत क्यों हुआ ? क्योंकि सभी राष्ट्रवादी जानते थे कि अर्नब जेल से बाहर आते ही भारत मां की जै और वंदेमातरम ही कहेगा । अन्यथा जेल से बाहर तो टुकड़े गैंग वाला कन्हैया भी आया था ।   दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित।