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जहां हिम से मण्डित शिखरों की
पर्वत मालाएं हैं
सप्त सरिताओं की बहती जहॉ
निर्मल धाराएं हैं
जहां बुग्यालों में हरितीमा का
अभिनन्दन होता है
झरनों का मधुर स्वरों में जहॉ
गुंजन होता है
दुनिया में सबसे न्यारा वह
उत्तराखंड हमारा है।
जहां श्वेत वस्त्र पहन कर पर्वत
पर्वत मुस्काते हैं
उमड़ घुमड़ कर मेघ जहॉ अमृत
जल बरसाते हैं
जहां मौन खड़े तपस्वी देवदार
देवों का वंदन करते हैं
पंछी अपने स्वरों मे जहॉ सारे
राग सुनाते हैं
दुनिया में सबसे न्यारा वह
उत्तराखण्ड हमारा है।
जहां धूप शिखरों से उतर कर
धरती पर आती हैे
शुद्ध मलय समीर जहां पल पल
जहॉ प्राणों को हर्षाती
जहां शिखरों से तारों को छूने
का दिल करता है
अम्बर को बाहों में भरने का
जहां मन करता है
दुनिया में सबसे न्यारा वह
उत्तराखंड हमारा है।
जहां चन्द्रकॅुंंवर प्रकृति में शब्दों
के रंग भरता है
कालिदास मेघदूत की जहां रचना
करता है
जहां सरिताओं के तट चारों धाम
विराजे हैं
पंच बदरी, पॅच प्रयाग, जहॉ पॅच
केदार निराले हैं
दुनिया में सबसे न्यारा वह
उत्तराखण्ड हमारा है।
जहां गंगा की अमृत धारा और
बुग्याल दयारा है
मानसरोवर की,यहीं तो नंदा की
राजजात यात्रा है
जहॉ रंग बिरंगे फूलों की हंसती
महकती घाटी है
और नहीं कोई दुनिया में वह मेरे
उत्तराखण्ड की माटी है।
दुनिया में सबसे न्यारा वह
उत्तराखण्ड हमारा है।