अतिथि लगे अपना ही मन /
जब देह भवन सुनसान लगे
साधन से ही सुख उकताएँ /
अंतर्व्यथा अज़ान लगे
प्रेम आत्म-व्याख्याएं ढूंढे /
मन उच्चाटन समय हरे
प्राण-व्यग्रता, श्वास उग्रता /
दिनचर्या विद्रोह करे
प्राणसखी की विरह वेदना /
भाग्य रिक्त स्थान लगे
सच कहता हूँ मंगलपति जी ! /
जीवन ही व्यवधान लगे