मधुशाला


सम्प्रदाय को गोलबन्द कर
थाम 'सेकुलर' का प्याला
मन्दिर-मस्जिद गुरूद्धारों में
कौन बांटता यह हाला।
धर्म को समझा खाला का घर
माया, ममता पियो जियो
मज़हब की अंजुलि के टांके
स्वयं तोड़कर स्वयं सियो।
कहां गई वो त्याग-तपस्या
ऋषियों मुनियों की हाला
बकरी-शेर ने लेकर पी थी
कहां गई वो मधुशाला।