सर उठाकर चल रही हैं अब हमारी बेटियाँ
हुनर से अपने तोड़ डालीं बंदिशों की बेड़ियाँ
छानना आकाश है गर तो समंदर बाॅ॑चना है
चाॅ॑द भी छूना जरूरी और धरा को नापना है
अंतरिक्ष,अवनि,सिन्धु से मिल रही हैं बेटियाॅ॑
हुनर से..............
लाज माॅ॑ के दूध की भी रखनी है उसको सदा
जनक की परवरिश का भी फर्ज करना है अदा
दो कुलों का नाम रोशन कर रही हैं बेटियाॅ॑
हुनर से ...........
अपने बलबूते पे किस्मत खुदबखुद ही गढ़ रही
वेद, शास्त्र,शस्त्र और विज्ञान सारा पढ़ रही
अपनी अस्मत को सुरक्षित कर रही हैं बेटियाॅ॑
हुनर से.....
बाबा के काॅ॑धे की जिम्मेदारियां सब ली उठा
मोम की गुड़िया नहीं मैं ये दिया सबको बता
सोलह संस्कार पूरे कर रही अब बेटियॉ॑
हुनर से........
बागडोर देश दुनिया की संभाले चल रही
दुश्मनों के दाॅ॑त खट्टे सरहदों पर कर रही
फिर बताओ गर्भ में क्यों मर रही हैं बेटियॉ॑
हुनर से........