नज़र उतारना विज्ञान या अंधविश्वास ? 


आपने बचपन मे अपने इर्द गिर्द ये देखा या सुना तो होगा बच्चा रो रहा है तो नज़र उतार दो ,खाना नहीं खा रहा है तो नज़र उतार दो ,बीमार है तो नज़र उतार दो घर के बुजुर्ग भी नमक,मिर्च ,राई इत्यादि से नज़र उतारते देखे होंगे और बच्चा ठीक भी हो जाता था | ये क्या था ? कैंसे ये सब हो सकता है ? शायद उन लोगों को भी परम्परा के चलते ये सौगात मिली हो  जो ऐसा चमत्कार देखने को मिलता था | पर यहाँ पर भी यही कहूँगी कि जब ज्ञान अस्त होता है तो अज्ञान और अंधविश्वास फलता फूलता है | पर ये अज्ञान ज़रूर था पर अंधविश्वास नहीं | हमारे इस शरीर को एक ऊर्जा चला रही है , जब वो शरीर से निकल जाती है तो शरीर का अंत हो जाता है | शरीर सिर्फ एक आवरण का कार्य करता है | वेद उपनिषदों में एक शरीर की बात नहीं की गई है |जो शरीर हम देखते हैं , ये भौतिक या स्थूल शरीर है जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं जो कि समय के साथ खत्म हो जाता है | पर इस शरीर को भी चलाने का जो केन्द्र होता है वो सूक्ष्म शरीर कहा जाता है ये दिखाई नहीं देता सिर्फ ध्यान द्वारा इसका अनुभव होता है इस सूक्ष्म शरीर मे सात शरीर य़ा सात चक्रों का उल्लेख उपनिषदों मे  मिलता है | यही  स्थूल या भौतिक शरीर तक ऊर्जा का संचार करते हैं | इन ग्रंथों मे स्पष्ट है कि इस सूक्ष्म शरीर मे चुम्बाकीय शक्तियां  ( Magnetic pawer) हैं | आप  अपने भौतिक शरीर याने के जो दिख रहा है ज़िससे आपकी पहचान होती है ,उससे जो भी कार्य करते हो | जो भी सोचते हो चाहे किसी के लिए बुरा य़ा अच्छा उस समय आपके शरीर से जिस भी तरह की ऊर्जा पैदा होती है उसे आपके सूक्ष्म शरीर की चुम्बकीय शक्तियां अपनी ओर खींचती हैं | वो ऊर्जा पहले आपके शरीर मे प्रवेश करती है फिर वहीं अपना स्थान बना लेती हैं , यही ऊर्जा आपके भाग्य का निर्माण करती है| उदाहरण के लिए यदि आप किसी को पसंद नहीं करते तो एक नकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर मे पैदा होती है | हमारे धार्मिक ग्रंथों मे ऐसे ही नहीं कहा जाता दुश्मन को भी ह्रदय से माफ कर दो इसमे बहुत बड़ा विज्ञान छिपा है | जिसे आध्यात्म कहते हैं | अब बात करते हैं नज़र की नज़र क्या है  ? नज़र ऊर्जा है ,शरीर मे भी ऊर्जा है  जब हमारे भौतिक शरीर की  ऊर्जा मे मतलब हमारा जो औरा या आभामण्डल है उसमे नकारात्मक ऊर्जा का स्तर बढ जाता है तो बुरी नज़र याने के नकारात्मक ऊर्जा आसानी से चुम्बकीया प्रभाव के कारण शरीर मे प्रवेश कर सकती है | नज़र नारियल से भी उतारी जाती है ,नारियल की भी अपनी एक ऊर्जा होती है |अपना आभा मंडल होता है  शास्त्रों मे इसकी ऊर्जा 10.5 मीटर तक बताई गई है , क्रिस्टल नमक की 4.8 मीटर ,गाय के दूध की 13 मीटर तक और भी चीजें हैं ज़िनसे नज़र उतारी जाती है | इनका भी अपना औरा या आभा मंडल होता है | इनमे सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा मात्रा  अधिक होती है  इनको  शरीर मे जब सात बार घुमाया जाता है तो शरीर मे चुम्बकीया शक्ति होने से इन वस्तुओं की सकारात्मक ऊर्जा  शरीर की नकारत्मक ऊर्जा के प्रभाव को कम कर देती है  | ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या अर्थात ब्रह्म ( ऊर्जा ) ही सत्य है | जो दिख रहा है वो नाशवान है |  ये वाक्य निरालंब उपनिषद जो कि शुक्ल यजुर्वेद से संबंधित है ,से लिया गया है | उपनिषद का ये वाक्य इस बात को स्पष्ट करता है |