वर्षा ऋतु
मेघ वस्त्र हैं ,तड़ित अस्त्र हैं / जलधार तेरा सम्भाषण है
बूँद पृष्ठ पर नियमावलियां / सागर का जल शासन है
बीज बाढ़ के बोये हमने / प्रकृति फसल को खायेगी
शोषणकर्ता के लालच का / दण्ड झोपडी पायेगी
स्वर उफान, उत्तुंग तरंगें / एकदन्त कुछ बोल रहे
राम -रसायन , मेल घाट के /गठरी सबकी खोल रहे