मन्मथ


ईश्वर ने हर मनुष्य केअन्त:करणमें सांसारिक विषय-भोग,राग-द्वेष,,काम-क्रोध,लोभ-मोह  ,ईर्ष्या-अहंकार आदिके साथ-साथ इन सब से ऊपर उठने के लिए पर्याप्त सुअवसर भी प्रदान किये हैं🌷😊आवश्यकता है अपने जीवनके सही मूल्य को समझने की😊

 विषय-भोग में तो हर प्राणी(पशु-पक्षी,कीट-पतंग आदि)लिप्त है

        ज़रूरत है मानव जीवन की सार्थकता को महसूस करनेकी😑क्या हमारा जीवन मात्र बाह्य जगत में व्याप्त भौतिक संसाधनों का उपयोग कर इन्द्रिय सुख भोगने तक सीमित है या इस से परे (आंतरिक इन्द्रीयसुखभोग )भी मानव जीवन की अहम भूमिका है😊

   बाह्य जगत का सुख-भोग तो हम केवल अपने चंचल मन के ऊपरी तल तक ही कर सकते है,जिसके कारण हम अधिकांश समय सब कुछ होते हुए भी दुखी और अशांत ही रहटे हैं🤔

   लेकिन कुछ क्षण यदि हम ध्यानमुद्रा में  बैठ कर आत्मचिंतन करें तो हृदय की अनन्त गहराइयों में प्रविष्ट हो गहन शांति को तत्क्षण प्राप्त कर सकते हैं,जिसके आगे भौतिक सुख फ़ीका पड़ जाता है🌷🍁🌷👏👏