विधान से फिर बनेगा स्वर्ग


पूरा कश्मीर भारत के विधान से चलेगा। अब तक कांग्रेस की मंदबु(ि और पाकिस्तान की कुटिलता से इस सुंदर प्रदेश को नरक बनाने में उग्रवादियों से अधिक कांग्रेस पोषित शेख और लालची सईद का परिवार तो थे ही, फेंकी हड्डियां चूसने वाले वामपंथी भी पाकिस्तान के ऐजेंडे पर इस स्वर्ग जैसी भूमि में उग्रवाद की नर्सरी तैयार करने में बराबर के भागीदार है। आज देश में जहां भी अशांति है, चाहे वह नक्सलवाद हो या पश्चिम बंगाल की अराजक राजनीति, उसके लिये कांग्रेस और वामपंथियों का गठजोड़ ही उत्तरदायी है। इन्हीं लोगों ने आईएसआई के निर्देशों पर कश्मीर की शांत वादियों में आग लगाई और आज जब मोदी ने साहसिक फैसला लेते हुये इस प्राायोजित आतंकवाद पर प्रहार किया तो राहुल गांधी और उनकी चांडाल चैकड़ी अपना आपा खो बैठी है। राहुल जो कि एअरपोर्ट तक गये और वहीं से उन्हें  घाटी के हालात चिंताजनक दिखाई दिये, विभिन्न चैनल और खास कर एनडीटीवी जिसके मालिक कि मनी लांॅड्रिग मामले में धरे गये हैं, को घाटी के लोगों और लोकतंत्र की चिंता हो रही है। मैं जम्मू में सात साल रहा, मुझे कश्मीर के मुसलमान के स्वभाव का पता है, वे लोग घाटी में कितने शांत और मृदु स्वभाव के थे, कितने परिश्रमी और कौल के पक्के थे पर किस तरह कांग्रेस के संजाल ने उन्हें पाकिस्तान का सुर बोलने के लिये मजबूर किया, पर राहुल आज भी बाज नहीं आ रहे हैं, वामपंथी पत्तलकार, पद्मश्री गैंग, फिल्मी भांड, सबके पेट में मरोड़ है कि मोदी आखिर उनके आकाओं का खेल खराब करने की जुर्रत क्यों कर रहा है। कश्मीर की वह धरती जहां चिनार के सूखे पत्तों को कांगड़ी में सुलगाकर लोग आपसी भाईचारे की आग को सालों तापते रहे, वे समस्त चिनार लुढ़का दिये गये। शेख के पिल्ले अखरोट से बने बंगलों में काहवा और विदेशी दारू की चुस्कियां लगाकर सत्तर साल से दिल्ली की सरकारों पर चूना लगाते रहे और कांग्रेस और उनके पालतू वामपंथी बु(िजीवी लोगों को यही समझाते रहे कि कश्मीरी मुसलमान बहुत गुरबत में है, गुमराह और गुस्से में है। उग्रवाद को वैधानिक दरजा देने वाले इन शहरी नक्सलियों पर भी लगाम लगाने की आवश्यकता है। कश्मीरी पंडितों को बेदखल कर जनसंख्या का जो गणित घाटी में बदला गया, उससे भाई लोग निश्चित थे कि अब कश्मीर में उनकी शतरंज को कोई नहीं छेड़ पायेगा। मोदी ने शतरंज की मेज ही उलट दी। अब सारे देश के मानवतावादी कश्मीर दौड़ लगाना चाहते हैं, उन्हें लगता है कि घाटी में लोकतंत्र की हत्या हो रही है, कश्मीरी मुसलमानों की आक्सीजन मोदी और शाह ने छीन ली है...इन लोगों को तब डर नहीं लगा जब पंडितों के साथ अमानवीय अत्याचार किये गये, सब जानते हैं, पर बीबीसी और पद्मश्री गैंग नहीं जानता। बीबीसी सारी दुनिया को छोड़कर कश्मीर पर आंसू बहा रहा है। ब्रिटेन और नेहरू ने मिलकर घाटी में पटेल और कैबिनेट से छुपाकर जो षडयंत्र बोया था, उस कारण बीबीसी का रोना तो बनता है। इंग्लैण्ड तब भी जानता था कि यदि भारत को पश्चिम जगत में प्रवेश का एक छोटा सा दर्रा भी मिल गया तो भारतीय मेधायें पूरे यूरोप के बाजार पर छा जायेंगी, इसी कारण तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारत के दायें-बायें दोनों रास्ते पाकिस्तान को दे दिये। उत्तर में हिमालय की दुरूहता और दक्षिण में सागर का महंगा मार्ग...नेहरू ने इस षडयंत्र में अंग्रेजी सत्ता का पूरा साथ दिया। आज इतने वर्षों बाद जब मोदी  सत्ता के तिलिस्म ध्वस्त कर रहे हैं तो कांग्रेस और उसके पालतू बंदर मानवतावाद का मुखौटा लगाकर मीडिया में शोर मचा रहे हैं। पर उनसे कुछ नहीं होगा। नरेन्द्र मोदी आज राजनीति के एक अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड बन चुके हैं। फेस बुक में लोग बीबीसी की भदेश बना रहे हैं। राहुल गांधी तो राजनीति के विदूषक बन चुके हैं। वे अपनी पार्टी के सबसे बड़े दुश्मन हैं। मुझे कांग्रेस पार्टी उस पुराने वृक्ष की तरह लगती है जिस पर राहुल जैसे सड़े फल ही लग सकते हैं, जिस की जड़ों पर दीमक लग चुका है, हां, कुछ प्रदेश के लोग उसकी एकाध टहनी को यदा-कदा हरा कर देते हैं। बीबीसी की आखिरी उम्मीद भारत का यही मतदाता है जो कांग्रेस के शाही परिवार को लौट -लौट कर सत्ता में बैठाता रहा है। कांग्रेस आ गई तो कश्मीर में विधान के बावजूद भी कुकर्म शुरू कर दिये जायेंगे। फारूख अब्दुला, सईद की बेटी और मुफ्तखोर अलगाववादी नेता इसी कारण मोदी की लोकप्रियता से सदमें में हैं। अनेक सेनानियों को खोने के बाद भी मोदी और शाह की जुगलबंदी अभी राजनीति की पटरी बिछाने में लगी है। इन्हीं पटरियों पर नवीन भारत का नागरिक अपने धार्मिक, सामाजिक आग्रहों को छोड़कर विकास के नये स्टेशन पर पहुंचना चाहता है। कुछ लोग हैं जो विकास और विश्वास की इस बुलेट टेªन को दुर्घटनाग्रस्त करना चाहते हैं, इंग्लैण्ड उनमें से एक है। दुनिया भर के सारे अपराधियों और देशद्राहियों को मानवतावाद के नाम पर पनाह देने वाला यह देश अभी भी अपने आप को दुनिया का सबसे होशियार मुल्क मानता है, और वह अपने तब के गुलाम देशों से आज भी औपनिवेशी मानसिकता का व्यवहार करता है, उसे राहुल जैसे बु(ि जीवी दिल्ली की गद्दी में चाहिये ताकि उसके बिक्री-बट्टे के गोरखधंधे निरंतर यूं ही चलते रहें। पर मोदी और शाह मारवाड़ियों के बीच राजनीति की पौध लगाकर यहां तक पहुंचे हैं, बीबीसी अपना स्टेशन ही संभाल ले, उतना बहुत है। मोदी के साथ सदियों धोखा खाये समाज का अनुभव है, तुम्हारी दाल अब नहीं गलेगी। जिन लोगों को घाटी में सेना से डर लगता है, वे हम पहाड़ियों के समाज में आयें और फौजियों के परिवारों का दर्द देखें, हमारी फौज का चेहरा दुनिया भर में सर्वाधिक मानवीय रहा है, हमारी फौज को बदनाम करने वाले ब्रिटिश अपना इतिहास याद रखें और भारतीय सेना के पराक्रम और मानवीय चेहरे को न भूलें, और मोदी से सावधान रहें...यूं ही कह रहा हूं....