जननायक


श्रेष्ठ व महामानव बनाते हैं ये क्षण
--------------- यह अदभुद क्षण है। जीवन में ऐसे पल बहुत कम आते हैं, जब निराशा में डूबे हुए क्षणों में आखें डबडबाने लगे और कोई मजबूत कंधा आपके सिर को सहारा दे दे। यह वो घटना है जो अवर्णनीय है, हम पत्रकारों के पास भी शब्दों की कमी हो जाएगी। इन पलों को हम सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं।
मिशन चंद्रयान-2 की असफलता से निराश इसरो प्रमुख के सिवन फफक-फफककर रो पड़े।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भावुक हो गए। शनिवार सुबह इसरो कंट्रोल रूम में वैज्ञानिकों को संबोधित करने के बाद मोदी बाहर निकले। विदाई के समय सिवन फफक-फफककर रो पड़े। मोदी ने उन्हें गले गले लगाकर ढांढस बढ़ाया और उनकी हिम्मत बढ़ाई। मोदी ने सिवन की  पीठ थपथपाई, उन्हें गले लगाया और फिर गाड़ी में बैठ गए। इन पलों ने प्रधानमंत्री और इसरो प्रमुख को उनके पदों को भुला दिया। उस वक्त वे मानवीय संवेदनाओं से भरे दो श्रेष्ठ मानव बन गए। ये क्षण हर किसी के जीवन में नहीं आते। दोनों को मेरा प्रणाम।
शनिवार को मिशन चंद्रयान -2 की विफलता की खबर से मन दुखी था। कुछ माह पहले ही इसरो प्रमुख के सिवन ने यहां पीआईबी के सम्मेलन कक्ष में प्रेस कांफ्रेंस करके इस मिशन को लेकर हम पत्रकारों को जानकारी दी थी। उसदिन से मुझे भी 7 सितंबर की प्रतीक्षा थी। मैं पत्रकारिता में अवश्य हूं , शिक्षा की सर्वोच्च डिग्री भी पत्रकारिता में ले चुका हूं लेकिन आज भी खुद को विज्ञान का छात्र मानता हूं। गणित में एम.एस-सी इसीलिए की थी कि विज्ञान में रुचि रही है। लेकिन शनिवार को मिशन चंद्रयान ने उदास कर दिया। यह उदासी मोदी और सिवन के भावुक क्षणों ने और बढ़ा दी।