गूगल का नया मंच-नवलेखा


अंग्रेजी से इतर हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रकाशकों के लिए गूगल ने नवलेखा नाम से एक प्रोग्राम लॉन्च किया है/ जिसमें अनेक राज्यों के साथ उत्तराखंड के अधिकतर उन प्रकाशकों को मुफ्त में ऑनलाइन कर दिया गया है, जो अब तक वेब साइट नहीं बना सके थे / इसी के चलते गूगल ने पिछली ३० सितम्बर २०१९ को प्रकाशकों की वेबसाइट सम्बन्धी समस्याओं और तकनीकी जानकारियों को सुलझाने के लिए देहरादून के एक होटल में एक कार्यशाला का आयोजन किया/ कार्यशाला की रूपरेखा रखते हुए गूगल अधिकारी सुनीता पारीख ने ऑनलाइन पत्रकारिता की आवश्यकता समझाते हुए क्षेत्रीय भाषाओँ और विशेषकर हिंदी की भूमिका बढाने पर बल दिया/ गूगल अधिकारी ने कहा  की दिन-ब-दिन नेट के संसार से आच्छादित होते जा रहे इस समाज और विशेषकर नई  पीढ़ी  के लिए प्रिंट और ऑफलाइन मिडिया अप्रासंगिक होता जा रहा है/ ऑनलाइन मिडिया के  संचार की गति और सुविधा के कारण आज समस्त सूचना तंत्र एक स्मार्ट फोन में समाता जा रहा है/  ऑफलाइन पत्रकारिता मे  सूचना और ज्ञान तक पहुँचने के लिए जितने साधन चाहिए, उसके मुकाबले में ऑनलाइन होती जा रही दुनिआ के हाथ में रखा एक फोन ज्ञान का पूरा इन्सैक्लोपीडिया बन सकता है/ एक क्लिक आपको ज्ञान के असीमित भंडार तक पहुंचा सकती है...बिना व्यक्तिगत रख रखाव के ही आपकी जानकारियां सालों-साल आपके फोन में सुरक्षित रह सकती हैं/  सुनीता पारिख ने जोड़ा कि आज जब कि ४६० मिलियन मोबाइल यूजर्स हैं / ३८०-४०० मिलियन स्मार्ट फोन रखने वाले लोग हैं / जो की ४० मिलियन प्रति वर्ष के हिसाब से जुड़ रहे हैं.... ऐसे में गूगल जैसे प्रतिष्ठित  सर्च इंजन का ध्यान क्षेत्रीय भाषाओँ और हिंदी जगत को दी  जाने वाली जानकारियों को जुटाने की ओर  जाता है, तो यह भारतीय भाषाओँ के ऑनलाइन यूजर्स के लिए शुभ सूचना है / ज्ञात हो की भारतीय भाषाओँ में उपलब्ध जानकारियां अंग्रेजी के मुकाबले मात्र ९-१० प्रतिशत ही हैं / ऐसे में भारत के  इस विशाल पाठक वर्ग को मात्र अंगेजी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता/ इसी को ध्यान में रखते  हुए गूगल ने ऑफलाइन प्रकाशकों  को  ऑनलाइन कर उन के लिए नवलेखा योजना शुरू की है ताकि गूगल के पास भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश की संपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हो सकें / 



ऐसे अनेक प्रकाशक थे जिनके पास लेखन का हुनर है, भारत की विभिन्न रीतीरिवाज़ों का लेखा-जोखा है,  पर वे वेबसाइट बनाने में या तो असमर्थ थे या तकनीकी जानकारियों के आभाव में उनका योगदान नेट पर नहीं आ पा रहा था, उनके लिए यह कार्यशाला वरदान साबित हुई / प्रकाशकों ने गूगल अधिकारी से प्रश्न-प्रतिप्रश्न करते हुए अपने आर्थिक हितों के भी सवाल उठाये जिनका  उत्तर देते हुए सुनीता जी ने सबको आश्वस्त किया कि  भविष्य में नवलेखा की वेबसाईट में और सुविधाएं जोड़ी जाएँगी, यू -टूब, के साथ नवलेखा का विस्तार किया जायेगा, वह भी बिना किसी चार्ज के.... नवलेखा  पर विज्ञापनों का लाभ लेने के तकनीकी पक्ष को रखते हुए उन्होंने प्रकाशकों से अपील की वे अपने पेज पर स्तरीय लेख और जानकारियां ही दें / लेखों की क्वांटिटी से अधिक यदि प्रकाशक उनकी गुणवत्ता पर ध्यान देंगे तो यह उनके विज्ञापन और  आर्थिक पक्ष को भी मजबूत करेगा /  गूगल अधिकारी ने वेब साइट्स के संचालन, उसकी दक्षता बढाने के लिए नेट के पूरे संसार से उनका परिचय करवाया, बड़ी दक्षता के साथ उन्होंने संचार से जुड़े नौसिखियों को नेट का तामझाम समझाया / उन्होंने हिंदी में लिखने और नवलेखा से जुड़ने पर प्रकाशकों का धन्यवाद किया, साथ ही अगाह भी किया कि अंग्रेजी के इतने वर्चस्व के बावजूद भी क्षेत्रीय भाषाओँ में लिखी जानकारियों की विश्वसनीयता  आज भी यदि ६५% है तो क्षेत्रीय भाषाओँ में लिखने वाले नवलेखा के प्रकाशकों को पूरी सजगता और अधिकार से लिखना होगा, संवेदनशील विषयों पर जिम्मेदार बनना होगा, साथ ही यदि प्रकाशक चाहते हैं की उन्हें भविष्य में आर्थिक लाभ भी हो तो वे कॉपी पेस्ट से बचें, शोधपरक मौलिक लेख लिखें, अश्लीलता से बचें, और लोक कल्याण को सर्वोपरि रखें। कार्यक्रम  के अंत में सभी प्रकाशकों को गूगल की ओर से  जलपान के साथ सदस्यता प्रमाणपत्र दिए गए... इस अवसर पर प्रोग्राम मैनेजर प्रशांत सिंह, बिजिनेस डेवलेपमेन्ट मैनेजर राहुल कटारिया , मनन आनंद, और सन्नी कुमार भी मौजूद थे.. .