ऐसा हो उत्तराखंडी घोषणापत्र

1.यह पर्वतीय सीमान्त राज्य है यहाँ का स्वभाव, विकास और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य मैदानी और पहाड़ी के आधार पर नहीं किया जा सकता। मैदानी क्षेत्रों व लोगों को सोचना पड़ेगा कि पर्वतीय विकास की कीमत पर ही मैदानों का विकास सम्भव है।
2. पलायन रोकने को बहुआयामी नीति बने। (अ) प्रत्येक पर्वतीय गाँव में 10-15 शिक्षित युवक-युवतियों को रुपये 2000 का मानदेय तय कर उन्हें वहीं रहकर स्थानीय संसाधनों से रोजगारपरक कार्यों में लगाया जाये जो फलों, फूलों, जड़ी-बूटियों, सहकारिता इत्यादि के आस-पास हो। (ब) प्रत्येक पर्वतीय गाँवों को मोबाइल अस्पतालों व चिकित्सा टीम का प्रति सप्ताह दौरा सुनिश्चित किया जाये (स) पर्वतीय कस्बों व नगरों में उच्च शिक्षा, इंजीनियरिंग, मेडिकल शिक्षा, कम्प्यूटर शिक्षा व मैंनेजमेंट शिक्षा के केन्द्र खुलवाये जाये। (द) पर्वतीय गाँवों को पेयजल की उपलब्धता व कम दरों पर निरन्तर विद्युतीय व्यवस्था से जोड़ा जाये। (य) गाँवों को भवन निर्माण में समग्ररूप से सहायता ;......निर्माण (आर्थिक) उपलब्ध करवा कर सुविधाजनक व पुनः बसने को प्रेरित किया जाये। ;रद्ध सेवानिवृत्त कर्मचारियों, सेना व अर्धसैनिकों को गाँवों में कार्य करने को प्रेरित करने हेतु विभिन्न संसाधन व प्रशिक्षण दिया जाये।
3. यह घोषणा की जाये कि वर्ष 2017 में राजधानी देहरादून से स्थानान्तरित होकर पूर्णतः गैरसैंण से कार्य करेगी। इसके लिए हवाई, मार्ग, रेलमार्ग व सड़क मार्गों की कार्ययोजना के साथ-साथ पर्याप्त........, जल व्यवस्था व भवन निर्माण प्रक्रिया प्रारम्भ हो।
4. अधिक जनपदों में विभिन्न निदेशालयों की स्थापना हो।
5. बड़ी औद्योगिक ईकाईयों को इसी शर्त पर मैदानी क्षेत्रों से उद्योग लगाने की अनुमति दी जाये जबकि वह न्यूनतम तीन छोटी सह ईकाई पर्वतीय जनपदों में भी लगाये व यह प्रत्येक जनपद में इसे समान रूप से बांटा जाये।
6. हिमालयी राज्य की विशिष्ट भौगोलिक संरचना के कारण व आर्थिक असमानता के चलते जनसंख्या पलायन के कारण पर्वतीय जनपदों से सीटों के कम करने को रोका जायेगा व इसे पर्वतीय बहुसंख्या प्रतिनिधित्व वाला ही रखा जायेगा।
7. भूमि के क्रय-विक्रय की लूट में मापिफयाओं से स्थानीय जनता के हितांे की रक्षा कर कड़े भूमि कानूनों को हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर पर बनाया जायेगा।
8. तीर्थाटन, धर्म व प्रकृति के अनुपम सुन्दर उत्तराखण्ड को कानून-व्यवस्था माओवाद, आतंकवाद व घुसपैठ से पूर्णतः  सुरक्षित रखा जायेगा। रणनीतिक रूप से धार्मिक जनसंख्या को बसा कर इसके स्वरूप को बिगाड़ने के प्रयास समाप्त किये जायेंगे।
9. इसकी भाषा गढ़वाली$कुमाउंनी$जौनसारी, संस्कृति साहित्य संगीत का संवर्धन व विकास का ठोस ढांचा खड़ा किया जायेगा।
उत्तराखण्ड के  चुनाव राज्य के भविष्य व इसके संघर्ष की असली प्रतिनिधि कसौटी पर होने चाहिए। यदि इसे राजनीति खींचतान मंे धकेलकर सत्ता के भ्रष्ट रण के लिए छोड़ दिया जायेगा तो फिर से देवतात्मा हिमालय सुलगने न लगे, यह चिन्ता करना आवश्यक है।