एक सपना देखा था सबने कभी ,
जिसको पूरा करेगी केवल चकबंदी ।
घर गांव छोड़ रही जब युवा पीढ़ी,
बुजुर्गों की मुस्कान बनेगी चकबंदी ।
रोजगार को तरस रही दुनिया सारी,
खुशहाली की राह बनेगी चकबंदी।
खेत-खेत में माँ-बहिने मुस्कुराई,
जैसे उसको भा गईई हो चकबंदी।
जाने कब से तरस रहे थे सभी,
एकता की राह दिखाती चकबंदी।
नुकसान कर रहे खेतों को जीव जंगली,
ऐसे में हरियाली संदेश लाएगी चकबंदी।
हर एक गांव में यह फसल उगाने आयी,
समृ(ि की कहानी सुनाएगी चकबंदी।