बाघ और संविधान


बाघ, 
आदमखोर लग गया है
तहलका है पूरे इलाके में
अब तक, सात जानें ग्रास हो चुकी हैं
सरकार, शिकारी पिंजरे 
तैनात करने जा रही है
सांसत में घिरे लोग  
कुछ आश्वस्त हो चुके हैं
चैपाया है बाघ /मारा ही जायेगा
उसके आतंक की कहानियां
आदमखोर बाघों के इतिहास में
दर्ज हो जायेंगी/ चटकारे मारकर पढ़ेंगे
शिकार कथाओं के पसंदीदा लोग...
बाघ,
उन्नीस सौ बावन से ही 
सक्रिय हो चुका था 
उसके पूर्णरूपेण
आदमखोर होने के आसार
तभी परिलक्षित होने लगे थे
लेकिन/ संविधान
उसके नष्टि पर मौन है
यों भी/ वह दुपाया है/ सो,
न कत्ल किया जा सकता है
न अपदस्थ किया जा सकता है
इसी कारण
उसकी गुर्राहट के भय से ही
उसके आतंक की कहानियां
शौर्य से मढ़कर
तिरंगे के संग-संग
लहराई जाती आ रही हैं
बाघ और संविधान 
सहोदर हो चुके हैं...
अरे, 'जन-गण-मन' के भक्तों,
जागो!
मानवता और जनतंत्र के ही लिये
बन्दूक नहीं (तो)
साहस उठालो!!!