दो ग़ज़लें

 


अगर आस्था होगी मन में, भाव भजन हो जायेंगे,
शब्द अधर हो जायेंगे, तो अर्थ नयन हो जायेंगे।


पंछी उड़के नभ हो जायेंगे, नदियां बहकर सागर,
राम नाम का गाने वाले, रामायण हो जायेंगे।


कठिन रियाज़ से तपकर, चांदी के, लोहे के तार,
सुर-लय, ताल में बंध जायेंगे, तो वादन हो जायेंगे।


प्रीत का मौसम जब भी उतरेगा, यादों के उपवन में,
मन को खुश्बू देने वाले, गीत सुमन हो जायेंगे।


दोस्त! जो अपना तन-मन, जीवन को अर्पित कर देंगे,
ऐसे लोग ही दुनिया में अनमोल रतन हो जायेंगें 




मुझसे मत कभी दुश्मनी करना
मुझसे तो सिर्फ दोस्ती करना।
  सारी बस्ती की रोशनी लेकर,
  मेरे घर में ही रोशनी करना।
मेरी सेवा ही तेरा फर्ज रहे,
मेरी सेवा में जिन्दगी करना।
  तेरा लहजा़ मुझे नहीं भाता,
  अपनी मुस्कान में कमी करना।
मेरा डाॅगी भी तुझसे बेहतर है,
उससे तुम मत बराबरी करना।
  तू तो छत के बगैर रह लेगा,
  मेरे सर पे ही चांदनी करना।
मैं तो हाकिम हूँ हुक्म देता हूँ,
तू तो नौकर है, नौकरी करना।