फैलता शोर
कनफोड़ू आवाज
घुटते लोग
संकटापन्न
विलुप्त होते प्राणी
कहाँ जायें ये?
घटती आयु
बढ़ता प्रदूषण
संकट आया
बढ़ते लोग
घटते संसाधन
पिसती धरा
मत छेड़िये
प्रकृति को यूं अब
जला देगी ये
पर्यावरण
सुरक्षित ाहेगा
संपन्न धरा
काटिये नहीं
हरे-भरे वृक्षों को
जीवन देंगे
पिघले हिम
ये ग्लोबल वार्मिंग
बढ़ता ताप
पौधे रोपिये
उर्वरता बचायें
समृद्ध धरा
स्वच्छ जल
नदियां अविरल
टले संकट
पर्यावरण
हो सतत् विकास
यही संकल्प