गांव की लड़की


गांव की लड़की
धरती होती है
वह खिल-खिलाती है तो
तमाम ऋतु-मौसमों के
गीत-संगीत
तैरने लगते हैं फिजा में
और एक उन्मुक्त सरुर
छा जाता है चतुर्दिक
दिलों से दिलों में
गांव की लड़की
तमाम पुराण-शास्त्रों का 
गौमुख होती है
कि निर्झरों की तरह
सरल-सुबोध
और निद्र्वन्द्व होकर
उंडेल देती है वह
तमाम किस्से व कहानियां
हृदय से हृदयों में
गांव की लड़की
जीवन का उत्सव होती है
संस्कृति का प्राण होती है
वह होती है
परमेश्वर की सबसे खूबसूरत
जीवन्त कविता