गाँव मत आना


बिगड़े हालात में, अबकी बरसात में
गाँव न आना बेटा, तू आके जज्बात में.
खेत खलिहान गए, पुरखों के मकान गए.
जिन्दा लोगों के साथ, युगों के श्मशान गए.
राजा भी रंक हो गए, पंछी बिन पंख हो गए.
विधाता ने लंगड़ी दी, धावक अपंग हो गए.
हम तो कुछ भी नहीं, सब ईश्वर के हाथ में.
यूं बिगड़े हालात में, अबकी बरसात में
गाँव न आना बेटा, तू आके जज्बात में
भूले नहीं वो तारीखें, हर ओर से थी चीखें,
मांग रहे थे ईश्वर से, लोग जिन्दगी की भीखें 
हम बच गए जैसे तैसे, मत पूछना मगर कैसे
दुआ करते हैं कोई न देखे मौत का तांडव ऐसे
आसमान चेता गया, रहो अपनी औकात में
यूं बिगड़े हालात में, अबकी बरसात में
गाँव न आना बेटा, तू आके जज्बात में 
यहाँ जिन्दगी गौण है, मौत जरा भी न मौन है.
खुसुर पुसुर कर रहे, बोलो जिम्मेदार कौन है.
देख लिया होगा मंजर, तूने बैठे घर के अन्दर.
हम न रह सके चैन से, ऐसा मचा था बवंडर.
 अब आदत हो गई रे, डरते थे बहुत शुरुआत में.
यूं बिगड़े हालात में, अबकी बरसात में
गाँव न आना बेटा, तू आके जज्बात में
बुरे पल निकल जायेंगे, नए रंग में ढल जायेंगे.
 उम्मीद रखना, वक्त के संग हालात बदल जायेंगे.
दूर रहे, नजदीक रहे, बेटा तू सदा ठीक रहे.
दुःख हमारे हिस्से आयें,तू खुशियों में शरीक रहे.
चिट्ठी भेज रहे हैं तुझको लाखों दुआओं के साथ में.
यूं बिगड़े हालात में, अबकी बरसात में
गाँव न आना बेटा, तू आके जज्बात में