ढोल सागर की स्वरलहरी..ब्राह्मणों का वैदिक स्वस्तिपाठ..भक्तों के जयकारे के बीच प्रदेश के एतिहासिक मेले में धधकते अंगारो पर ज्यांे ही जाख के पश्वा ने नृत्य किया, भक्तों की आंखे विस्मय और आश्चर्य से फट गयीं। संभवतः विश्व का यह पहला मेला है जिसमे कोई मनुष्य लगभग चार मीटर लम्बे तथा 10 मीटर चैड़े बने अग्निकुड में धधकते अग्निकंुड में प्रवेश करके नृत्य करता है। कुछ इसी तरह का नजारा था जाख मेले का।
उत्तराखंड के जनपद रूद्रप्रयाग के विकासखंड उखीमठ के ग्राम पंचायत वणसू, जाखधार में स्थित जाख मेले में प्रतिवर्ष वैशाखी पर्व पर लगने वाले मेले में हजारांे की तादात में भक्तों ने पहुंचकर इस अ़िद्वतीय नजारे को देख पुण्य अर्जित किया। ठीक ढाई बजे जाख के नर पश्वा ने अग्निकुंड में कूदकर भक्तांे की बलायें लीं।
मेले से तीन दिन पूर्व जाखमंदिर में गोठी का आयोजन किया जाता है, इस दौरान हक हकूक धारी ग्रामीणों द्वारा जंगल से लकड़ी की टहनियों को एकत्रित करके अग्निकुड का निर्माण किया गया था, इस दौरान कोठेड़ा के पुजारियों द्वारा संक्रान्ति रात्रि को जागरण करके जाख देवता की पूजा अर्चना की गयी, साथ ही भजन कीर्तन भी गाये गये। सोमवार को नारायण कोटी में प्रातः जाख के नर पश्वा मदन सिंह की पुजारियों द्वारा पूजा अर्चना की गयी, नवीन वस्त्र धारण करके टीका चंदन लगाकर गले मे मालायें डाली गयीं। पुनः ढ़ोल-दमाऊ के स्वर तथा सैकड़ांे भक्तों के बीच भगवान जाख नर पश्वा पर अवतरित हुये। सैकड़ों भक्तों के बीच भगवान जाख के नर पश्वा ने देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंंिदर के दर्शन करके चंद क्षण विश्राम किया तदुपरान्त सभी भक्तों ने जाख मंदिर की ओर प्रस्थान किया। मंदिर में पहंुचकर भक्तों ने भगवान जाख का जलाभिषेक किया। तदुपरांत ढोल सागर के गर्जन के बीच नर पश्वा ने धधकते अंगारो से बने अग्नि कुंड में प्रवेश करके नृत्य किया। इसके बाद सभी भक्त अग्निकुंड से भभूत निकाल प्रसाद के रूप में अपने साथ ले गये।
जाख मेला का अग्नि नृत्य