लालों के टोटे


नाम नहीं
काम हैं खोटे
सच में
गधे यों नहीं लोटें।
सौगन्धों की
बिखर गई मनकाएं
आत्माओं से
दूर हुई प्रार्थनाएं
रात रचें
षड़यंत्रा मोटे।
)षियों ने जिए
)चा हुई कामनाएं
क्यांे, हमको अब
लील रहीं वासनाएं
मन भारी
सच हुए ओटें।
हैं समाक्रांत
आज, प्रवंचनाएं
बलिदानों की
विस्मृत हुईं कथाएं
नहीं मगर
लालों के टोटे।