मानवता की और


विद्यालक्ष्मी चैरिटेबल ट्रस्ट तथा एच.डी चैरिटेबल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में एस डी काॅलेज आॅफ इंजीनियरिंग, मुजफ्फर नगर के सभागार में आयोजित भव्य समारोह में डाॅ अ कीर्तिवर्धन की दो पुस्तकों 'मानवता की ओर' तथा 'वल्र्ड आॅफ पोइट्री' का लोकार्पण किया गया। स्थानीय तथा बाहर से आये बुु(िजीवियों की उपस्थिति से खचाखच भरे सभागार में कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने माने शिक्षाविद डा एसएन चैहान, मुख्य अतिथि डाॅ उमा कांत शुक्ल  संस्कृत के प्रकांड विद्वान, मुख्य वक्ता जे वी काॅलेज बड़ौत के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डाॅ राम शर्मा, श्री राजेश्वर त्यागी भूतपूर्व सैनिक व मंच के सशक्त हस्ताक्षर, श्री गुंजन अग्रवाल इतिहासकार, पूर्व संपादक कोर पत्रिका पटना तथा जाने माने लेखक पत्रकार श्री रोहित कौशिक रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलित कर कीर्ति वर्धन जी द्वारा हाइकु शैली में लिखी तथा भारती विश्वनाथन जी द्वारा स्वरब( की गयी सरस्वती वंदना से हुआ। सभी अतिथियों का फूल माला, शाॅल तथा प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया। विद्यालय की छात्रा मधु तथा प्रख्यात लेखिका श्रीमती प्रतिभा त्रिपाठी द्वारा कीर्ति जी की कविता का सस्वर पाठ किया गया। पुस्तक के विषय में अपनी बात रखते हुये कीर्तिवर्धन जी ने समाज में घटते संस्कारों व सामाजिक मूल्यों के प्रति चिन्ता जाहिर की और बताया कि मेरी कविता भूतकाल से सीखकर वर्तमान के धरातल पर खड़ी होकर भविष्य की चुनौतियों के लिये समाज को तैयार करने का प्रयास है। मानवीय दृष्टिकोण तथा मानवता भारतीय जीवन शैली है, उसके बिना विश्व कल्याण सम्भव नहीं है। चार पंक्तियों के माध्यम से उन्हांेने कहा-
टूटकर भी किसी के काम आ जाऊँगा, / मैं पत्ता हूँ, गल गया तो खाद बन जाऊँगा/ हो सके तो मुझको जलाना ईंधन के वास्ते, / किसी के काम आ सकूँ, खुशी से जल जाऊँगा।
अ कीर्तिवर्धन की चुनिंदा कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद 'वल्र्ड आफ पोइट्री' के अनुवादक डा. राम शर्मा ;विभागाध्यक्ष अंग्रेजी जे वी कालेज बड़ौतद्ध ने अपने उद्बोधन में कहा कि कीर्ति जी की कविताएँ सरल, सहज व मानवीय संवेदनाओं से पूर्ण हैं। आज कीर्ति जी की अंग्रेजी में अनुदित कविताएँ विश्व पटल पर पढ़ी और सराही जाती हैं। श्री रोहित कौशिक जी ने बताया कि डा. कीर्ति वर्धन जी की कविताओं में समाज बदलने की ताकत है। वह आदमी को इन्सान बनने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने आशा जताई कि कीर्ति जी समाज को कुछ और भी बेहतर देने में सक्षम होंगे। मेरठ से पधारे मंच के सशक्त हस्ताक्षर श्री राजेश्वर त्यागी जी ने कहा कि 'मानवता की ओर' मानवीय संवेदनाओं का जीवन्त दस्तावेज है। पुस्तक की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि अपने 52 वर्ष के लेखनकाल में उन्हांेने मानवीय संवेदनाओं की ऐसी सृजना नहीं की। 
मुख्य अतिथि संस्कृत के प्रख्यात विद्वान डा. उमाकांत शुक्ल जी ने कीर्तिजी की सहृदयता तथा मानवीय दृदृष्टिकोण को रेखांकित करते हुये उनकी पूर्व पुस्तकों मुझे इन्सान बना दो, सुबह सवेरे, सच्चाईई का परिचय पत्र में भी उनके मानवतावादी दृदृष्टिकोण की चर्चा की और आशीर्वाद देते हुये कहा कि कीर्तिवर्धन जी अपनी रचनाओं से समाज में मानवता का परचम फहराते रहेंगे और बच्चों में संस्कारों का रोपण करने में संलग्न रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जाने माने शिक्षाविद डा. एस एन चैहान ने बताया कि कीर्तिवर्धन जी अच्छे साहित्यकार के साथ बेहतरीन इंसान भी हैं। उनकी कविताएं इंसानी मूल्यों के प्रति संवेदना, प्रेरणा व स्फूर्ति पैदा करने वाली हैं। वह कहते हैं कि मानवता की ओर ऐसी कृकृति है जो आज के आपाधापी के युग में कल्याण का पथ प्रशस्त कर सकेंगी। उन्होंने कीर्ति जी की बुजुर्गों पर केन्द्रित पुस्तक 'जतन से ओढ़ी चदरिया' की भी सराहना की और बताया कि यदि इसको पढ़ा और समझा जाये तो समाज में वृ(ाश्रम की समस्या समाप्त हो जायेगी। डा. चैहान ने कीर्तिवर्धन जी की रचनाओं के कन्नड, तमिल, मैथिली, नेपाली, अंगिका, तमिल व उर्दू अनुवादों की भी चर्चा की। कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों के 20 से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार साझा किये। समारोह में मुजफ्फरनगर के सभी प्रमुख साहित्यकारों  सहित 150 से अधिक बु(िजीवियों व समाजसेवियों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रगान से पूर्व संचालन कर्ता श्री सुनील शर्मा जी द्वारा सभी अतिथियों तथा मीडिया का धन्यवाद किया गया।