प्रिय नेहरू के अप्रिय सच

अहंकारी, हठी स्वभाव का राजनेता था। अपने समान किसी अन्य को विद्वान नहीं समझता था। राजनेताओं का ऐसा होना स्वाभाविक गुण होता है। हठी था तभी स्वतंत्राता आन्दोलन में 1946 तक उसका जीवन संघर्षरत रहा। ब्रिटेन के राजकुमार प्रिन्स आॅपफ वेल्स का सहपाठी रहा। बाप की कमाई पर जीवन व्यतीत किया और काम कांग्रेस का किया। अंग्रेजों ने उसके स्वभाव की त्राुटि को पहिचान लिया था। वह किसी के रोब को सहन नहीं करता था। डाॅक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सामने लोकसभा में उसकी आँख ऊँची नहीं होती थी। उसके घमण्डी स्वभाव के कारण सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस की प्रधानता छोड़नी पड़ी थी। पिछले 12-1500 वर्षों में देश भक्तों के संघर्ष को भ्रमित लोग मानता था। महात्मा गाँधी के आशीर्वाद के कारण भारतीय जनता उसे नेता मानने पर विवश थी। कांग्रेस के आन्दोलनों को यदि हिन्दू महासभा और आरúएसúएसú सहयोग नहीं देते तो कांग्रेस के आन्दोलन नहीं चल सकते थे। परन्तु सारा श्रेय कांग्रेस ही लेती रही। नेहरू 1946 में मौंट बेटन की कूटनीति का शिकार हुआ और प्रथम प्रधानमंत्राी बनने के स्वार्थ वश देश विभाजन के लिए मानकर निर्दोष जनता की हत्याएं कराई। यदि विभाजन नहीं मानता तो इतनी हत्यायें नहीं होती। उस समय सुभाषचन्द्र बोस के संघर्ष में हिन्दू-मुस्लिम में एकता थी। विभाजन की मांग करने वाली मुस्लिम लीग को अनुयाईयों का प्रतिरोध जनता कर सकती थी। कांग्रेस हिन्दुओं को अहिंसा का पाठ पढ़ाती रही और मुस्लिम लीग के डाइरेक्ट एक्शन का प्रतिरोध करने कोई कांग्रेसी सामने ना आया और निहत्थे हिन्दुओं की कांग्रेस ने हत्याएं कराईं थीं। महात्मा जी और कांग्रेसी नेताओं की नीति अब तक देश को तबाह करा रही है। धन और जन की हानि हो रही है।
नेहरू की निम्न गल्तियां जिम्मेदार हैं-
1. खिलाफत आन्दोलन का समर्थन गाँधी द्वारा
2. कांग्रेसी नेताओं ने 1931 में रावी नदी के किनारे शपथ ली थी पाकिस्तान (देश विभाजन) नहीं मानने की परन्तु नेहरू ने शपथ भंग करके स्वतंत्रा हिन्दुस्तान का प्रथम प्रधानमंत्राी बनने के लालच में आकर 1947 में देश विभाजन माना। खान अब्दुल गुपफार खान सरहद्दी गाँधी ने कहा था कांग्रेस ने उनसे धोखा किया है।
3. जब पाकिस्तान दे दिया तो भारत मंे इस्लाम जैसे क्रूर मजहब को भारत में कोई सुविधा नहीं होनी चाहिए थी। परन्तु नेहरू ने मुस्लिम वोट बैंक बनाने के लिए केरल में मुस्लिम लीग को मान्यता दी जिसने पाकिस्तान में हिन्दुओं की सामूहिक हत्याएं कीं और अब पिफर भारत मेें 1947 जैसे हालात बना रही है।
4. नेहरू ने शेख अब्दुल्ला की अनुचित मांगों को पूरा करके कश्मीर समस्या बनाई जो भारत को समाप्त करने का साधन बनी हुई है। डुग्गर प्रदेश जम्मू को कश्मीरियों का गुलाम बनाया था। कहा था महाराजा हरिसिंह नहीं जानता था कि नेहरू प्रधानमंत्राी होने वाला है।
5. 1947 मंे पाकिस्तान ने कश्मीर पर अतिक्रमण करके 1/3 भाग राज्य का छीना। भारतीय सेना ने कुछ भाग खाली करा लिया था और दो दिन में समूची स्टेट खाली करा देने को कहती रही परन्तु नेहरू ने जंगबन्दी ;ब्मंेम थ्पतमद्ध करवा दिया। भागता शत्राु पाकिस्तान पुनः खाली भाग पर आ बैठा।
6. केस यूúएनúओú मंे ले गया और कहा रायशुमारी होगी। अंग्रेज जो चाहते थे वैसा मानता गया। यूúएनúओú ने कश्मीर पाकिस्तान को दिला देना था यदि रूस ने वीटा ना किया होता। भारत रूस का आभारी है चाहे रूस का अपना स्वार्थ भी था।
7. हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा नेहरू ने लगाया और चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण करके पूर्वी भाग पर अधिकतर कर लिया।
8. हिन्दुओं में पूफट डालने के लिए और हिन्दुओं की संख्या घटाने के लिए शड्यूल कास्ट बनाई गई वोट बैंक बनाने के लिए और परिवार नियोजन हिन्दुओं की संख्या घटाने के लिए।
9. तिब्बत पर चीन का अधिकार माना जबकि तिब्बत के लामा कहते रहे कि अंग्रेजी भारत सरकार की तरह वह भारत के साथ रहना चाहते हैं। वह भारतीय संस्कृति को अपने अनुकूल मानते थे।
10. डाॅú मुखर्जी की हत्या शेख अब्दुल्ला ने कहा था इन्क्वायरी होनी चाहिए। परन्तु कोई इन्क्वायरी ना हुई। जब डाॅú मुखर्जी की हत्या हुई तो नेहरू ने बंगाली जनता के डर से शेख अब्दुल्ला को जेल में डाला और प्रजा परिषद का भारत से विलय का आन्दोलन बन्द करवाया।
यदि आरúएसúएसú प्रजा परिषद के आन्दोलन में डाॅú श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान ना होता तो भारत का संविधान, सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग जेúकेú में लागू ना होता। डाॅú मुखर्जी जीवित रहते तब अगले चुनाव में वह भारत के प्रधानमंत्राी होते। नेहरू ने उन्हें अपने रास्ते का कांटा ही समझा। नेहरू की पुत्राी ने इमरजेंसी लगा कर प्रजा तंत्रा का गला घोटा था। आरúएसúएसú ने आन्दोलन कर इमरजंेसी हटाई थी। ु