नूतनवर्षाभिनंदन



हमंे रात नहीं
प्रभात चाहिए
हर घर हो
प्रकाशमान
जागे देश का
स्वाभिमान
हरषे खेत
खलिहान
हमें ऐसा
प्रतिमान चाहिए.
जहाँ न हो
जात-पांत का दलदल
सद्भावना की गंगा
बहती रहे अविकल
हर हाथ को
मिले काम
हमें ऐसा
मुकाम चाहिए
हर बच्चे की
हाथ में कलम
दीन-दुखियों पर
रहमोकरम
जहाँ भावना हो
वसुधैव कुटम्बकम्
हमें ऐसा
धरम चाहिए.
नए विचारों का
हो अभ्युदय
सूचना क्रांति का
सूर्योदय
न भूख न गरीबी
न अत्यधिक अमीरी
एकनिष्ठ हो
सारा समाज
हमें ऐसा
आज चाहिए ु