पलाश
जीवन मधुमास
झूमे धरती
बसंती धरा
पीत फूलों के संग
अल्हड़ जरा
बसंती रंग
खुशी भरे गायन
होली के संग
पुष्प हर्षित
भँवरों का गुंजन
खुशियाँ लौटी
स्नेहिल हवा
गुनगुनी धूप में
बसंत गाए
रूह कंपाती
कड़कड़ाती ठंड
बसंत भगाए
पहाड़ी मन
बुरांश भरे वन
प्रेम मे झूमा
बसंत )तु
कला साधक पूजें
शारदा देवी
बनके वक्र
मेघ क्यों बरसते ?
)तु कुचक्र
बसंती रंग
जंगल के अंगारे
पलाश फूल
मन बुरांश
जीवन मधुमास
पहाड़ों संग
बसंत फीका
पलाश बिन होली
जले क्यों वन ?
रूठी तितली
बाग हुए उदास
कैसा बसंत ?
अकेलापन
फीके हैं सब रंग
बोझिल मन
बंजर जमीं
बचपन बिलखे
नमी ही नमी