15/4/1 pleasant valley, Rapur, Dehradun, Uttarakhand
About
‘‘हलन्त’’ ने सोलह वर्ष पूरे किये...मीडिया के मन्डीकरण का एक विरोधी हलन्त भी है। यह पत्रिका मेरे लिये नोट कमाने का साधन नहीं है। मैं इसे विचारों का युद्धक्षेत्र मानता हूँ...वैसे भी यह शब्दों को ढोल बनाकर पीटने का समय नहीं है, यह हर्षबर्द्धन के समय का भारत नहीं है कि मूर्ति, शिल्प, वांग्मय के कलश चमकाये जायें। यह इतिहास का सबसे भयंकर कालखण्ड है। राजनेता सभी तरह के दुष्कर्म कर रहे हैं, साहित्य-सिनेमा, रंगमंच भी चर्च-चीन के संकेतों पर चलकर सृजन के नाम पर धंधा कर रहे हैं। कौसुम्भी भारतीय रंग अब मीडिया के कटघरे में बन्द कर दिया गया है, माओवाद अपनी घटिया विचारधारा और घटिया सामान से भारत को पाट रहा है, हमारे युवाओं को अपने ही देश के विरूद्ध प्रयोग कर रहा है। ऐसे कठिन समय में एक पत्रिका अपनी भूमिका ढूंढ रही है। जिन संगठनों से उम्मीदें थीं वे या तो जटाबल्लभ हैं या सत्ता के शहद पर भिनभिना रहे हैं...हलन्त चिमनी की तरह है, सीमित साधनों के कारण इसकी पीली रोशनी में शब्दों के भरोसे ही बढना होगा...इस अंगारे को अखण्ड ज्योति बनाने में कई हाथ हमारे साथ हैं----स्वागतम